पिता की मौत के बाद भी बेटी ने नहीं हारी हिम्मत, राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में जीता रजत पदक

नीरज कुमार/ बेगूसराय. बिहार का बेगूसराय मेधा एवं प्रतिभाओं की धरती रही है. यहां के खिलाड़ी सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी काबिलियत का लोहा मनवाकर जिला का मान बढ़ा रहे हैं. यहां के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहराया है. इसी कड़ी में पूर्णिया निवासी चाहत प्रिया भारती बरौनी ब्लॉक कैंपस में अपने परिवार के साथ रहते हुए 5 वर्ष की उम्र से हीं ताइक्वांडो खेलकर राज्य में अपनी पहचान बनाई है.

खेल के क्षेत्र में इनकी चर्चा तब सबसे ज्यादा होने लगी जब इनके पिता सरकारीकर्मी घनश्याम हेमरान की मौत हो गई. पिता के मौत के महज एक सप्ताह बाद हीं राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए चाहत उड़ीसा गई और वहां अंडर-47 किलोग्राम वर्ग में सिल्वर मेडल प्राप्त कर बिहार की पहली महिला खिलाड़ी बनने का गौरव प्राप्त किया.

रूपा बेयोर से प्रभावित होकर शुरू किया ताईक्वांडो खेलना
बिहार के पूर्णिया जिला की रहने वाले स्व. घनश्याम हेमरन की पत्नी कंचन माला देवी अपनी बेटी चाहत प्रिया भारती के साथ बेगूसराय जिला के बरौनी प्रखंड मुख्यालय स्थित सरकारी क्वॉर्टर में रहती हैं. यहीं चाहत ने 5वर्ष की उम्र में विश्व ताईक्वांडो स्पर्धा में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी अरूणाचल की रूपा बेयोर को टीवी पर खेलते देख काफी प्रभावित हुई. रूपा बेयोर को आदर्श मानते हुए ताईक्वांडो खेलने के लिए प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया.
राष्ट्रीय ताइक्वांडो में चयन होने के बाद पिता की हो गई थी मौत

‘बिहार की पहली महिला खिलाड़ी बनी’
कोच शिवकुमार ने बताया कि चाहत प्रिया भारती के पिता घनश्याम हेमरान की मौत उस वक्त हो गई जब चाहत का राष्ट्रीय ताइक्वांडो खेल में उड़ीसा जाने के लिए चयन हो गया था. इसके बावजूद चाहत ने हार नहीं मानी और पिता के मौत के गम को सहते हुए उड़ीसा के कटक स्थित जेएन इंडोर स्टेडियम में बिहार की ओर से खेलते हुए चाहत प्रिया भारती ने अंडर-47 किग्रा में रजत पदक प्राप्त करने वाली बिहार की पहली महिला खिलाड़ी बनी.

बेटी के हर सपने को साकार करने का हरसंभव करेंगे प्रयास
चाहत प्रिया भारती ने बताया कि 36वां राष्ट्रीय सब जूनियर ताइक्वांडो चैंपियनशिप 2022-23 के लिए कला संस्कृति एवं युवा विभाग से हरजोत कोर बम्हरा ने राज्य खेल सम्मान देकर अलंकित किया है. बता दें कि इस अवॉर्ड के साथ खेल विभाग की ओर से 40 हज़ार की सहायता राशि भी प्रदान कर खिलाड़ीका हौसला अफजाई किया. वहीं मां कंचनमाला देवी अपनी बेटी के गोल्ड जीतने पर मुस्कुराते हुए कहती हैं कि आज इसके पिता नहीं है, इसके बावजूद बेटी के हर सपने को साकार करने के लिए प्रयास करते रहेंगे.

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