पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर बेटे ने शुरू किया बटेर पालन, हर साल 20 लाख की कमाई

राजकुमार सिंह/वैशाली : पिता कभी खेती करते थे. बेटे ने बटेर पालन शुरू किया और अब सालाना 20 लाख से अधिक कमाते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं वैशाली जिले के सरसई मुकुंदपुर गांव के रहने वाले राजदेव राय की. प्रशिक्षण लेने के बाद राजदेव अपने गांव में बटेर का हैचरी फॉर्म चला रहे हैं. जहां वे हर 35 दिन में 50 हजार चूजा तैयार करते हैं. एक चूजा वे किसानों को 20 रुपए में बेचते हैं. बटेर के अंडे से चूजे तैयार करने के लिए उनका खुद का लैब भी है. जहां वे प्रतिदिन चूजे तैयार करते हैं. चूजा और बटेर बेचकर सालना 20 लाख रुपए कमाते हैं.

पिता ने कहा था नौकरी करने
राजदेव बताते हैं कि पिता ने उनसे पढ़ाई के बाद नौकरी करने के लिए कहा था. लेकिन उन्होंने अपने पिता से साफ कहा कि किसान का बेटा हूं, इसलिए खेती ही कर सकता हूं. बस इस धुन के साथ उन्होंने बटेर पालन शुरू किया. खुद तो अच्छा कमाते ही हैं, 2000 किसानों को प्रशिक्षण देकर उन्हें भी इसके माध्यम से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रहे हैं. राजदेव की मानें तो उन्होंने वर्ष 1993 में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद से ही वे अपने गांव में ही अपना भविष्य बनाना चाहते थे. शुरू में तो उनके पिताजी को यह जानकर बहुत बुरा लगा, लेकिन बाद में वे भी मान गए.

2000 किसानों को भी मिल रहा लाभ
राजदेव कहते हैं कि पिता का कहना था कि तुम पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करो. ऐसा नहीं करोगे तो हम लोगों को क्या कहेंगे. लेकिन राजदेव राय के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था. इस कारण से उन्होंने उत्तर प्रदेश के बरेली में ट्रेनिंग ली. फिर 2011 में नाबार्ड के सहयोग से प्रेम यूथ फांउडेशन के जरिए प्रशिक्षण लिया.

उन्हें हाजीपुर में एक बड़े अधिकारी मिथिलेश सिंह ने इस काम में काफी सपोर्ट किया. जब उन्होंनेबटेर का हैचरी फॉर्म खोला, उस वक्त वैशाली में कोई भी बटेर फॉर्म नहीं चलता था. आज उनकी मेहनत का ही फल है की 2000 से ज्यादा किसान इससे जुड़कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. वे खुद भी सालाना 20 लाख रुपए कमाते हैं. इसी कमाई से उनका घर परिवार अच्छे से चलता है.

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