पितरों को करना है खुश तो इन बातों का रखें ख्याल! गया के आचार्य की सलाह जानें 

कुंदन कुमार/गया. बिहार के गया जी को मोक्ष की नगरी कही गई है. यहां पूर्वजों का पिंडदान करने से उन्हें जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. ऐसा कहा जाता है कि पितरों की आत्मा इस मोह माया की दुनिया में भटकती रहती है. ऐसे में गया में पिंडदान करने मात्र से इससे मुक्ति मिलती है. उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है. सनातन धर्म में पितरों को देवता के समान माना गया है. इसलिए पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध किया जाता है.

मान्यता है कि इस दौरान पितरों को तर्पण के माध्यम से तृप्त करने पर उनका हमेशा आशीर्वाद प्राप्त होता रहता है. इस बार पितृपक्ष मास की शुरुआत 28 सितंबर से शुरु हो रही है.

पितृपक्ष के दौरान ये गलती पड़ेगी भारी
पितृपक्ष के दौरान कई बार लोग जाने अनजानें में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं. जिसके पितर नाराज हो जाते हैं. साथ ही पितृ दोष लगता है. ऐसे में आज हम बताने जा रहें हैं कि पितृ पक्ष में किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

गया वैदिक मंत्रालय पाठशाला के पंडित राजा आचार्य के अनुसार पितृपक्ष में श्राद्ध के दौरान सात्विक भोजन करना या करवाना उत्तम होता है. पितृ पक्ष में भोजन की सामग्रियों में लहसुन और प्याज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. पितरों के श्राद्ध के दिन जब तक ब्राह्मण को भोजन न करा दें तब तक खुद भी भोजन ग्रहण न करें. यह आपके पितर के प्रति आपकी श्रद्धा को व्‍यक्‍त करता है.

इन जानवरों को नहीं मारे
श्राद्ध पक्ष या पितृपक्ष में भूल से भी कुत्ते, बिल्ली, गाय या किसी भी जानवर को मारना नहीं चाहिए. उन्हें परेशान भी नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि इन दिनों पूर्वज इस रूप में भी आपको ढूंढते हुए पहुंचते हैं. कौवों, पशु-पक्षियों को अन्न-जल देना फलदायी होता है. इन्हें भोजन देने से पूर्वज संतुष्ट होते हैं. पितरों का श्राद्ध-कर्म करने वाले को इन दिनों ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करना चाहिए. खान पान में पूर्णतः सात्विकता बरतनी चाहिए. मांस-मछली, मदिरा आदि का सेवन कतई नहीं करना चाहिए.

प्रातःकाल जल और तिल से तर्पण करें
उन्होंने बताया कि पितृपक्षा मास के दौरान पूर्वजो को नित्य प्रातःकाल जल और तिल से तर्पण करें. रोजाना भोजन बन रहा है. उसमें से पञ्चबलि निकालना, शुद्ध आचरण मे रहना, इधर उधर का खाना नही खाना, 15 दिन नित्य पितृ गायत्री का पाठ करना यह अति आवश्यक है. पितृपक्ष मे नित्य तर्पण करने से पितर देवताओ से भी ज्यादा बलिष्ठ हो जाते हैं और तुरंत अपने पुत्र और परिवार को विशेष अनुग्रह आशीर्वाद देते हैं.

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