पारा लुढ़कते ही बच्चों में बढ़ा कोल्ड डायरिया का खतरा, जाने लक्षण और उपाय

मनमोहन सेजू/बाड़मेर. थार नगरी में अचानक मौसम में बदलाव होने के साथ ही अस्पतालों में कोल्ड डायरिया के साथ साथ खांसी,जुखाम, बुखार और निमोनिया के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. अस्थमा के मरीजों के अलावा बच्चों के लिए यह मौसम काफी घातक साबित हो सकता है. ऐसे में नन्हे बच्चों को इन बीमारियों से बचाने के लिए चिकित्सक की सलाह लेकर सर्दी से बचाव करना आवश्यक है.

पश्चिम राजस्थान में बदले मौसम के मिजाज के बाद शीतलहर शुरू हो चुकी है ऐसे में बच्चों की देखभाल अब ज्‍यादा करनी पड़ेगी. उन्हें ठंड से बचाने के साथ ही फर्श पर नंगे पांव भी नहीं छोड़ना होगा. बाड़मेर जिला अस्पताल में इन दिनों नन्हे बच्चों के इलाज के लिए माकूल प्रबंधन किए गए है. अचानक से बदले मौसम के कारण बच्चो में बुखार, खांसी, लूज मोशन और जुखाम जैसी शिकायतों के साथ अस्पताल पहुँच रहे है.

अधिक ठंड में रहता है निमोनिया का खतरा
जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. हरीश चौहान बताते है कि बढ़ती ठंड में बच्चों का ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इस मौसम में मां की जरा सी लापरवाही बच्चों को मुसीबत में डाल सकती है. वह बताते है कि कोल्ड डायरिया में दस्त, भूख न लगना, कंपकंपी, पूरे दिन सुस्ती रहना, पेट दर्द की समस्या बढ़ जाती है.अधिक ठंड में निमोनिया होने का भी खतरा रहता है.

डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए करना होगा ये उपाय
चौहान के मुताबिक बच्चों के फेफड़ों में इंफेक्शन और लगातार खांसी आना, सीने में खड़खड़ाहट की आवाज, सांस तेज तेज चलना, चेहरा नीला पड़ना के लक्षण दिखाई देते हैं. ऐसे में बच्चों को तुरंत चिकित्सक को चेकअप करवाकर दवाइयां लेनी चाहिए. सर्दियों में बच्चों को डिहाइड्रेशन से बचाना जरूरी होता है. नियमित अंतराल पर बच्चों को पानी पीलाते रहना चाहिए. ठंड में गुनगुना पानी पीलाना ज्यादा फायदेमंद होता है. बच्चे के शरीर में पानी की कमी होने पर डायरिया का खतरा बढ़ जाता है.

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