प्रवीण मिश्रा/खंडवा. शारदीय नवरात्रि के व्रत खत्म होने के अगले दिन दशहरा और उसके बाद आश्विन माह की सबसे महत्वपूर्ण तिथि भी आती जिसे पापाकुंशा एकादशी कहा जाता है, इस दिन व्रत उपवास पूरी श्रद्धा विश्वास के साथ करने से कर्ता को एक हजार अश्वमेध यज्ञ एवं सूर्य यज्ञ का फल स्वतः ही मिल जाता है. इस साल पापाकुंशा एकादशी तिथि 25 अक्टूबर यानि दिन बुधवार को है.
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में नवरात्र के समाप्त होने के बाद जो एकादशी तिथि आती उसे पापाकुंशा एकादशी कहा जाता है. इस दिन का व्रत मनोवांछित फल कि प्राप्ति के लिये भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाती है, यह एकादशी 25 अक्टूबर को है. इस पापाकुंशा एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु जी की पूजा करने से व्यक्ति को फल की प्राप्ति होती है.
हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ का फल मिलता है.
पंडित राजेश पाराशर ने बताया कि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी की पापाकुंशा एकादशी हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ करने के समान फल प्रदान करने वाली होती है.ऐसा माना जाता हैं कि इस एकादशी व्रत के समान अन्य कोई दूसरा व्रत नहीं है. जो व्यक्ति इस एकादशी व्रत के दिन अगर कोई इन दान करता है तो उसे अनेक शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
पापाकुंशा एकादशी का व्रत ऐसे करें
इस एकादशी व्रत में भगवान श्री विष्णु जी का विशेष पूजन धूप, दीप, नारियल, पुष्प, केले, और पंचामृत से किया जाता है. एकादशी तिथि के दिन ब्राह्ममुहूर्त उठकर गंगाजल मिले जल से स्नान करने के बाद पूजा स्थल में बैठकर व्रत करने का संकल्प लेते हुए कलश स्थापना कर घी का एक दीपक जलाने के बाद भगवान श्री विष्णु जी की विशेष पूजा आराधना करें.
.
Tags: Dharma Aastha, Local18, Papankusha ekadashi
FIRST PUBLISHED : October 24, 2023, 13:43 IST