नई दिल्ली: चीनी सेना में व्याप्त भ्रष्टाचार ने शी जिनपिंग की नींद उड़ा दी है और उनका अब पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) पर से विश्वास डगमगाने लगा है. यही वजह है कि चीन में सेना से लेकर नेताओं पर लगातार गाज गिर रही है. भ्रष्टाचार के मामलों पर सख्ती दिखाते हुए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने फिर एक्शन लिया है और चीनी रॉकेट फोर्स और नेशनल लेजिस्लेटिव के कई सीनियर सैन्य अफसरों को हटा दिया है. यहां बताना जरूरी है कि रॉकेट फोर्स पीएलए का अहम हिस्सा है, जिसके ऊपर चीनी परमाणु मिसाइलों को संभालने की जिम्मेदारी है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ चीनी राष्ट्रपति लगातार एक्शन मोड में हैं. हालांकि, जैसा कि चीन में होता आया है, इन अधिकारियों को हटाने का कोई कारण नहीं बताया गया है.
हालांकि, यह पहली घटना नहीं है, जब चीन में बड़े सैन्य अधिकारियों पर गाज गिरी है. इससे पहले अक्टूबर में रक्षा मंत्री ली शांगफू को अचानक बर्खास्त कर दिया गया था. काफी समय तक तो उनके ठिकाने के बारे में भी किसी को पता नहीं था. इसके बाद जिनपिंग ने डोंग जून को चीन का नया रक्षा मंत्री बनाया था. यहां बताना जरूरी है कि यह पोस्ट काफी समय तक खाली था. साल 2012 में सत्ता में आने के बाद से ही शी जिनपिंग भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार मुहिम चला रहे हैं और इनके निशाने पर कम्युनिस्ट पार्टी से लेकर सरकारी अधिकारी तक रहे हैं. हालांकि, सबसे अधिक निशाने पर पीएलए के अधिकारी रहे हैं.
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी सेना के विभिन्न डिवीजन्स के अफसरों को हटाया गया है. बर्खास्त किए गए जनरल विभिन्न डिवीजनों से आते हैं, जिनमें पीएलए रॉकेट फोर्स के पूर्व कमांडर, एक वायु सेना प्रमुख और दक्षिण चीन सागर के लिए जिम्मेदार एक नौसेना कमांडर के साथ-साथ उपकरण इनचार्ज के चार अधिकारी शामिल हैं. हालांकि, चीनी राष्ट्रपति की परेशानी उस वक्त और बढ़ गई, जब अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया कि चीन की मिसाइलें ईंधन से नहीं, पानी से भरी हैं.
‘चीन की मिसाइलों में पानी’
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के भीतर भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए चीन की सैन्य क्षमताओं पर सवाल उठाया है. यह रिपोर्ट हाल ही में कई उच्च रैंकिंग वाले चीनी सैन्य अधिकारियों की बर्खास्तगी को पीएलए यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में व्यापक भ्रष्टाचार से जोड़ती है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन की रॉकेट फोर्स के भीतर भयंकर भ्रष्टाचार हुआ है. इस मद में हाल के वर्षों में जिनपिंग ने खूब पैसा खर्च किया है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि भ्रष्टाचार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीनी मिसाइलों में ईंधन के बजाय पानी भरे हैं और मिसाइलों में डिफेक्टिव सामान लगाए गए हैं, जो उसके प्रक्षेपण क्षमताओं में बाधक हैं.
जिनपिंग की चिंता की असल वजह
इन खुलासों से अमेरिकी अधिकारियों को यह विश्वास हो गया है कि निकट भविष्य में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी सेना को किसी सैन्य कार्रवाई में शामिल नहीं करेंगे. यानी चीन अभी निकट भविष्य में किसी युद्ध या सैन्य कार्रवाई के बारे में सोच भी नहीं सकता. इतना ही नहीं, जिस पीएएल पर चीन को इतना घमंड रहता है, इन खुलासों और भ्रष्टाचार के मामलों के बाद से उसकी क्षमता पर सवालों उठने शुरू हो गए हैं. रॉकेट फोर्स और रक्षा औद्योगिक आधार के भीतर भ्रष्टाचार को पीएलए की समग्र क्षमताओं में जिनपिंग के विश्वास को कम करने के रूप में देखा जा रहा है. चीन के ये घटनाक्रम शी जिनपिंग के लिए एक चुनौती से कम नहीं हैं. एक ओर जहां जिनपिंग ने 2050 तक अपनी सेना के आधुकनिकीकरण का लक्ष्य रखा है और ताबड़तोड़ निवेश कर रहे हैं और अपनी सेना को वर्ल्ड क्लास बनाने की सोच रहे हैं. ऐसे में भारी भरकम निवेश के बाद भी भ्रष्टाचार के ये मामले उनके प्रयासों को बेकार साबित कर रहे हैं. इतना ही नहीं, अमेरिका से प्रतिस्पर्धा के बीच ताइवान और साउथ चाइना सी में भी उसकी चिंता बढ़ गई है.

अभी और गिरेगी गाज
इन चुनौतियों के बावजूद ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि शी जिनपिंग की स्थिति मजबूत बनी हुई है. वरिष्ठ सैन्य हस्तियों को बर्खास्त करने के उनके कार्यों की व्याख्या कम्युनिस्ट पार्टी पर उनके दृढ़ नियंत्रण और अनुशासन में सुधार, भ्रष्टाचार को खत्म करने और दीर्घकालिक युद्ध की तैयारी के लिए चीन की सेना को तैयार करने की उनकी प्रतिबद्धता के प्रदर्शन के रूप में की जाती है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिंगापुर में ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के एसोसिएट प्रोफेसर अल्फ्रेड वू का मानना है कि रॉकेट फोर्स के भीतर अभी और बर्खास्तगी होगी.
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FIRST PUBLISHED : January 9, 2024, 06:41 IST