रिपोर्ट – रजनीश यादव
प्रयागराज. आधुनिकता के दौर में लोग नई-नई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. जैसे-जैसे नई तकनीक और आविष्कार हो रहे हैं, लोग उसे अपनाते हैं और इसकी लत उन्हें दिमागी तौर पर कमजोर बनाना शुरू कर देती है. ऐसी ही लत होती है मोबाइल की. बिना मोबाइल खालीपन महसूस करना, बगैर मोबाइल के एक मिनट न रह पाना, ये ऐसी गलत आदते हैं, जिनकी वजह से व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार होने लगता है. यूपी के प्रयागराज में मोबाइल की लत से परेशान होकर लोग हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं. कैल्विन हॉस्पिटल में तो रोज करीबन 8 ऐसे मरीज आते हैं.
डरिए मत, ये आंकड़े हमारे नहीं, बल्कि प्रयागराज के बड़े अस्पताल कैल्विन अस्पताल के हैं. यहां लगभग 8 मरीज मोबाइल की लत से पीड़ित होकर डॉक्टर के पास आते हैं. मनोचिकित्सक डॉ. राकेश पासवान बताते हैं कि मोबाइल की लत छुड़वाने के लिए डायवर्सन मेथड का प्रयोग किया जाता है. पहले देखते हैं कि मरीज में मोबाइल का नशा किस स्तर का है, माइल्ड है, मॉडरेट है या सीवियर. माइल्ड स्तर का तो थेरेपी से ही ठीक हो जाता है, लेकिन मॉडरेट और सीवियर के लिए दवाओं का भी प्रयोग करना पड़ता है. इसका नशा हैबिटेट इंपल्स कंट्रोल डिसऑर्डर के रूप में होता है. जिसमें मरीज कभी-कभी खुद को भी नुकसान पहुंचाने लगता है. कभी-कभी तो ऐसा होता है कि बच्चों को लेकर आए पेरेंट्स में ही मोबाइल का नशा छा जाता है. फिर हम लोग इनको सजेस्ट करते हैं कि आप लोग लाइब्रेरी ज्वाइन करिए, अच्छी किताबें पढ़िए और बच्चों से भी मोबाइल को दूर रखिए.
क्या है मोबाइल की लत के लक्षण
डॉ. राकेश पासवान बताते हैं कि जिस व्यक्ति को मोबाइल की लत लग जाती है, तो उसके भीतर कई प्रकार के विकार उत्पन्न होने लगते हैं. शख्स को एंग्जाइटी की समस्या होती है, चिड़चिड़ापन आ जाता है, साथ ही घबराहट होने लगती है. मोबाइल का नशा किसी पदार्थ का नहीं, बल्कि व्यवहार का होता है. डॉ. पासवान बताते हैं कि किसी-किसी मरीज में यह भी देखा जाता है कि मोबाइल नहीं मिलने पर वह अग्रेशन में आ जाता है. डॉक्टर ने कहा कि प्रयागराज में मोबाइल के आदी मरीजों की संख्या बढ़ते देखकर 5 साल पहले कैल्विन अस्पताल में मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र खोला गया था.
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FIRST PUBLISHED : January 15, 2024, 15:49 IST