पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान गरीबी से ऐसी जंग लड़ रहा है कि आए दिन यहां चीजों के बढ़ते दामों के बारे में खबर सुनने को मिलती है. पाकिस्तान में एक अजीबोगरीब ट्रेन (Weird train in Pakistan) चलती है, जिसे देखकर आपको लगेगा कि शायद ये भी गरीबी का ही नतीजा होगा. पर ऐसा नहीं है, इस ट्रेन का इतिहास सालों पुराना है और इसके बारे में जानकर आपको पता चलेगा कि पाकिस्तान को बनाने में भारतीयों का कितना बड़ा हाथ है और उनकी मेहनत की वजह से मौजूदा पाकिस्तान का अस्तित्व है. हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान में चलने वाली घोड़ा ट्रेन (Horse Train Pakistan) की.
जी हां, यहां पर एक ऐसी ट्रेन है, जिसे इंजन नहीं खींचते, बल्कि घोड़ा (Ghoda train Pakistan) खींचता है. पाकिस्तान के फैसलाबाद (Faisalabad, Pakistan) में चलने वाली इस घोड़ा ट्रेन की शुरुआत साल 1903 में हुई थी. इसे सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर गंगा राम ने अपने गांव फैसलाबाद में बनवाया था. उस दौरान गांव में रेलवे ट्रैक बिछवाए गए थे, जिसके ऊपर ये ट्राम चला करती थी. इस ट्राम को घोड़े खींचते थे. ये घोड़ा ट्रेन बुचियाना और गंगापुर नाम के दो स्टेशनों को जोड़ती थी.
घोड़ा ट्रेन के लिए बनी पटरियां आज भी पाकिस्तान के फैसलाबाद में दिख जाती हैं. (फोटो: Instagram/meemainseen)
गंगा राम ने करवाया था निर्माण
जब-जब इस ट्रेन की बात होगी, तब-तब गंगा राम की चर्चा होना जरूरी है. गंगा राम एक बड़े इंजीनियर, आर्किटेक्ट और दानी थे जिनका जन्म 1851 में हुआ था. वो आज के पाकिस्तान में, पंजाब प्रांत में जन्मे थे. उन्हें आधुनिक लाहोर का पितामा कहा जाता है. उन्होंने कई प्रसिद्ध इमारतों का निर्माण किया था. साल 1903 में वो रिटायर हुए थे और उसी साल उन्हें राय बहादुर की उपाधि मिली थी.
बंद हो गई ट्रेन
गंगाराम को पाकिस्तान के फैसलाबाद गांव में उनके महान कामों के बाद सरकार ने 500 एकड़ जमीन दे दी थी. जिसे उन्होंने उपजाऊ बनाने का काम किया और वहां फार्म बनाए. उन्होंने खेती के आधुनिक सामानों का भी इस्तेमाल किया. इन भारी मशीनों को ले जाने के लिए गंगा राम ने घोड़ों से चलने वाली एक ट्रेन बनाई जो उनके गांव को बुचियाना रेलवे स्टेशन से जोड़ती थी जो करीब 3 किलोमीटर दूर था. 1980 तक ये घोड़ा ट्रेन चला करती थी. पर फिर उसकी देखरेख नहीं की गई और वो खराब होती चली गई. साल 2010 में सरकार ने घोड़ा ट्रेन को फिर से डेवलप किया. पर कुछ सालों बाद, फंड की कमी और सरकार की रुचि खत्म होने की वजह से ट्रेन को दोबारा बंद कर दिया गया. गंगा राम का निधन साल 1927 में हुआ था.
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FIRST PUBLISHED : October 11, 2023, 15:15 IST