पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिमों को क्यों नहीं माना जाता मुसलमान, ना मस्जिद में घुस सकते हैं और ना बड़ा पद

हाइलाइट्स

दुनियाभर में सबसे ज्‍यादा अहमदिया मुसलमान पाकिस्‍तान में ही रहते हैं.
लगातार उनके प्रार्थना स्थलों और कब्रिस्तानों को निशाना बनाया जा रहा है.
पाकिस्‍तान में उन्‍हें अल्पसंख्यक गैर-मुस्लिम समुदाय का दर्जा दिया गया है.

Ahmadiyya Muslims: भारत और पाकिस्तान का बंटवारा ही धार्मिक आधार पर हुआ था. पाकिस्तान को इस सोच के साथ बनाया गया था कि यहां मुसलमान रहेंगे. पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर अहमदिया मुसलमान रहते हैं, जिनके साथ वहां खराब सुलूक होता है. इस देश में यह समुदाय लगातार हमलों का शिकार होता रहा है. अहमदियों का कहना है कि लगातार उनके प्रार्थना स्थलों और कब्रिस्तानों को हमलों का निशाना बनाया जा रहा है. ये सारे हमले सुनियोजित ढंग से किए जा रहे हैं. इन्हें अक्सर ईश निंदा के मामलों में भी फंसाया जाता है. नतीजतन ये पाकिस्तान छोड़कर अन्य देशों में जा रहे हैं.

खुद को मुस्लिम बताते हैं अहमदिया
पाकिस्तान के संविधान में अहमदिया मुसलमानों को मुस्लिम माना ही नहीं गया है जबकि यह खुद को मुस्लिम मानते हैं. उन्‍हें अल्पसंख्यक गैर-मुस्लिम धार्मिक समुदाय का दर्जा दिया गया है. पाकिस्तान ने संविधान संशोधन के जरिए इन्हें गैर मुस्लिम घोषित किया था. बाद में सैनिक तानाशाह जिया उल-हक ने अहमदियों को खुद को मुस्लिम बताने से रोक दिया था. पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के लोगों की संख्या करीब 5 लाख है. 

ईश निंदा के मामले
पाकिस्‍तान में अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ ईशनिंदा के मुकदमे दर्ज कर सजा देने के मामले आए दिन आते रहते हैं. ईशनिंदा के मामले में दोषी पाए जाने पर अहमदिया समुदाय के लोगों की हत्‍या कर दी जाती है. उनके ऊपर इस्लामी आस्था के प्रतीकों को सार्वजनिक रूप से दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. जैसे वे अपने प्रार्थना स्थलों पर मीनार नहीं बना सकते. अहमदिया मुसलमानों को गैर-मुस्लिम अल्‍पसंख्‍यक घोषित किए जाने के बाद से इनके मस्जिद में जाने पर पाबंदी लगा दी गई. इसलिए पाकिस्‍तान में अहमदिया समुदाय की मस्जिदों और लोगों पर हमले होते हैं.

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कैसे बना अलग समुदाय
अहमदिया समुदाय की शुरुआत 1889 में भारत के पंजाब के लुधियाना के गांव कादियान में अहमदी आंदोलन के साथ शुरुआत हुई थी. इसके संस्‍थापक मिर्जा गुलाम अहमद ने खुद को पैगंबर मोहम्‍मद का अनुयायी और अल्‍लाह की ओर से चुना गया मसीहा घोषित किया था. उनके अनुयायियों का मानना है कि अल्‍लाह ने उन्‍हें धार्मिक युद्ध खत्म करने, खूनखराबे की निंदा करने के साथ शांति स्‍थापित करने भेजा है.

मतदाता सूची में अहमदिया मुसलमानों को गैर-मुस्लिम अल्‍पसंख्‍यकों के तौर पर दिखाया जाता है. (फोटो: Shutterstock)

क्‍यों बनाया जाता है निशाना
मिर्जा गुलाम अहमद की विचारधारा के मुताबिक, मुस्लिम धर्म और समाज को बचाने के लिए सुधारों की बहुत जरूरत है. बीबीसी ने ऑक्सफोर्ड इस्लामिक स्टडीज ऑनलाइन के हवाले से लिखा है कि अहमदिया समुदाय के मुताबिक, मिर्जा गुलाम अहमद को पैगंबर मोहम्मद के निर्धारित कानूनों के प्रचार के लिए भेजा गया था. वहीं, मुस्लिमों में शिया और सुन्‍नी समुदाय के लोग अहमदिया मुसलमानों के ऐसे दावों को हमेशा से खारिज कर रहे हैं. इस वजह से चरमपंथी ही नहीं लिबरल मुस्लिम भी अहमदिया मुसलमानों को इस्‍लाम का विरोधी मानते हैं. 

मतदाता सूची में भी अलग व्यवस्था
पाकिस्‍तान में खुद को अहमदिया बताने वाले लोगों को मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने में दोषी पाए जाने पर सख्‍त सजा का प्रावधान है. ऐसे मामलों में पाकिस्‍तान दंड संहिता की धारा-298सी के तहत तीन साल जेल की सजा का प्रावधान है. यही नहीं, कुछ मामलों में आरोपी पर जुर्माना भी लगाने की व्‍यवस्‍था है. वहीं, मतदान के मामले में भी उनके लिए अलग व्‍यवस्‍था है. मतदाता सूची में अहमदिया मुसलमानों को गैर-मुस्लिम अल्‍पसंख्‍यकों के तौर पर दिखाया जाता है.

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पद देने में भी भेदभाव
2020 में जब इमरान खान की सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की थी. उसमें अहमदिया समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं था. इसके बारे में पूछे जाने पर तत्कालीन सूचना मंत्री शिबली फ़राज ने जवाब दिया था कि अहमदिया अल्पसंख्यकों में परिभाषित नहीं होते हैं. लेकिन यह भेदभाव केवल यही नहीं है. देश में  अहमदिया मुसलमानों को कोई बड़ा संवैधानिक पद नहीं दिया जाता है. 

दुनिया में अहमदिया समुदाय की स्थिति?
दुनियाभर में सबसे ज्‍यादा अहमदिया मुसलमान पाकिस्‍तान में ही रहते हैं. पड़ोसी मुल्‍क में अहमदिया मुसलमानों की कुल आबादी 40 लाख है. यह समुदाय करीब 200 देशों में फैला हुआ है. दुनियाभर में अहमदिया मुसलमानों की कुल आबादी सवा करोड़ से ज्‍यादा है. इनकी पूरी दुनिया में 16 हजार से ज्‍यादा मस्जिदें हैं. इस समुदाय के कुरान का 65 से ज्‍यादा भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अहमदिया समुदाय से जुड़े एक व्यक्ति के अनुसार घुटन और हताशा के माहौल के कारण दशकों से काफी अहमदिया देश छोड़कर जा चुके हैं.

Tags: Islam religion, Mosque, Muslim, Pakistan news, Terrorist attack

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