हाइलाइट्स
हाफिज सईद का बेटा और दामाद साल 2018 में हुए चुनाव में भी एक बार किस्मत आजमा चुके हैं.
2024 में होने वाले आम चुनाव में तल्हा सईद अल्लाह-हू-अकबर तहरीक पार्टी से चुनाव लड़ रहा है.
इस्लामाबादः साल 2024 में होने वाले पाकिस्तान के आम चुनाव में आतंकी और लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक हाफिज सईद का बेटा तल्हा सईद ने चुनाव लड़ने का फैसला किया है. साथ ही उसने इसकी तैयारी भी जोर-शोर से शुरू कर दी है. बता दें कि तल्हा सईद को भारत सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया है. तल्हा इस बार होने वाले चुनाव में अल्लाह-हू-अकबर तहरीक पार्टी से ताल ठोक रहा है.
पाकिस्तान में अगले वर्ष के शुरू में होने वाले चुनावों में कुख्यात आतंकवादी और कथित तौर पर पाकिस्तान की जेल में बंद हाफिज सईद के बेटे तल्हा शाहिद ने चुनाव की कमान संभाल ली है. दिलचस्प यह है कि हाफिज सईद के कथित तौर पर जेल में होने के चलते उसके पास आतंकवादी संगठन लश्करे तैयबा की कमान भी है. हाफिज सईद के रहते हुए भी वह लश्कर में नंबर दो की पोजीशन पर था.
तल्हा का नाम अनेक आतंकवादी गतिविधियों में आ चुका है और वह काफी पहले से अपने आतंकवादी संगठन के लिए फंड इकट्ठा करने का काम किया करता है. बता दें कि इससे पहले हाफिज सईद का दामाद साल 2018 में चुनाव लड़ा था. हालांकि तल्हा सईद पहली बार चुनाव नहीं लड़ रहा है. इससे पहले 2018 में ही अपने पिता के गृह नगर सरगोधा से चुनाव लड़ा था.
पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने नेशनल असेंबली सीट-91 (सरगोधा-IV) और नेशनल असेंबली सीट-133 (लाहौर) के लिए हाफिज तल्हा सईद (बेटे) और हाफिज खालिद वलीद (दामाद) के नामांकन पत्र स्वीकार कर लिए थे. इस चुनाव में तल्हा सईद की 11000 वोटों से हार हुई थी. साथ ही हाफिज का दामाद भी चुनाव हार गया था. तब इस पार्टी ने कुल 50 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे.
तल्हा द्वारा अपनी जो जानकारी पाकिस्तान चुनाव आयोग में दी गई थी, उसके मुताबिक उसका नाम तल्हा सईद उर्फ हाफिज तल्हा सईद है. बता दें कि भारत द्वारा हाफिज सईद के बेटे ताल्हा सईद को साल 2022 में आतंकवादी घोषित किया गया था और उस पर आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करने और भारत में अनेक आतंकी वारदातों में शामिल होने के आरोप लगाए गए थे.
इसके पहले इसका एक साथी साल 2012 में अमेरिका में भी पकड़ा गया था, जहां से उसकी बातचीत के टेप भी बरामद हुए थे. जिनमें उसने आतंकवादी गतिविधियों की बात की थी. यह बात दीगर है कि तल्हा सईद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने में चीन ने अड़ंगा लगा दिया था, जिसके चलते तल्हा को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित नहीं किया जा सका था.
तल्हा सईद साल 2005 से आतंकवादी संगठन लश्कर में एक्टिव हो गया था और शुरुआती दौर में उसने लश्कर की शिक्षक विंग की कमान संभाली थी, जिसमें आतंकवादियों को ब्रेनवाश करने के लिए भेजा जाता था. 2011 के मध्य तक, तल्हा ने समूह के शिक्षक विभाग का नेतृत्व किया, और इस पद का उपयोग करके एलईटी की ओर से सुविधाएं हासिल कीं. इसके साथ तल्हा ने एलईटी के मीडिया संचालन के साथ-साथ उपदेश और प्रचार कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए वेबसाइटों पर भी काम किया.
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Tags: Hafiz Saeed, Lashkar-e-taiba
FIRST PUBLISHED : November 20, 2023, 14:39 IST