पाकिस्‍तान का इलाका जहां हिंदू ज्यादा, मुस्लिम नहीं कर सकते गोवध

पाकिस्‍तान में हिंदुओं की आबादी बेहद कम रह गई है. साल 2017 में हुई जनणना के मुताबिक, पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी करीब 45 लाख थी. दूसरे शब्‍दों में कहें तो पाकिस्तान की कुल आबादी में हिंदू महज 2.14 फीसदी ही हैं. वहीं, मुस्लिम आबादी 96.47 फीसदी है. यही नहीं, पाकिस्‍तान में हिंदुओं के जबरन धर्म परिवर्तन, हिंदू युवतियों का अपहरण और जबरन निकाह की घटनाएं अक्‍सर दुनियाभर की मीडिया में सुर्खियां बनती रहती हैं. ऐसे हालात के बीच भी पाकिस्‍तान का एक इलाका ऐसा है, जहां आज भी हिंदुओं की तूती बोलती है.

पाकिस्‍तान के थार रेगिस्‍तान में मीठी नाम का एक शहर है. यह इलाका सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में है. मीठी शहर पाकिस्‍तान के सबसे बड़े शहर कराची से 280 और लाहौर से 879 किमी दूर है. वहीं, भारत में गुजरात के अहमदाबाद से 341 किमी की दूरी पर है. मीठी 1990 में थारपारकर जिले का हिस्‍सा बना था. तब थारपारकर को मीरपुर खास से अलग करके नया जिला बनाया गया था. मीठी पाकिस्‍तान के उन चंद इलाकों में एक है, जहां मुस्लिम नहीं, हिंदू बहुमत में हैं. मीठी की कुल आबादी में 80 फीसदी हिंदू हैं.

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मीठी में कोई मुसलमान नहीं काटता गाय
डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मीठी में मुसलमान हिंदुओं की धार्मिक अस्‍थाओं और प्रतीकों का पूरा समान करते हैं. लिहाजा, वे हिंदुओं में पूजी जाने वाली गाय को नहीं काटते हैं. यही नहीं, गौवंश में किसी भी जानवर का मांस इस इलाके में नहीं खाया जाता है. बताया जाता है कि भारत और पाकिस्‍तान के बीच हुई 1971 की जंग में भारतीय सेनाएं मीठी तक पुहंच गई थीं. इससे यहां के मुसलमानों को रातोंरात इलाका छोड़कर भाग खड़े हुए थे. युद्ध खत्‍म होने के बाद जब हालात सामान्‍य हुए तो मीठी के हिंदुओं ने मुस्लिमों को लौटने को कहा और फिर से यहां बसने में मदद की.

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मीठी में हिंदुओं की आबादी 80 फीसदी है.

हिंदू महिला ने दी मस्जिद के लिए जमीन
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्‍थानीय थियेटर प्रोड्यूसर हाजी मोहम्मद दाल ने बताया कि एक हिंदू महिला ने मीठी की जमा मस्जिद के लिए अपनी जमीन दान दे दी थी. वह बताते हैं कि तब स्‍थानीय जामा मस्जिद परिसर को आसपास की जमीन लेकर बढ़ाने की योजना बनाई जा रही थी. पड़ोस के एक घर में हिंदू महिला रहती थीं. वह उनके पास आईं और खुद अपनी जमीन मस्जिद के लिए दान देकर चली गईं. वह बताते हैं कि इलाके में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच इतना सौहार्द्र है कि दोनों समुदाय मिलकर रोजा रखते हैं. यही नहीं, हिंदू लोग मुहर्रम के जुलूसों में भी हिस्‍सा लेते हैं.

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तेज आवाज में मस्जिद से नहीं होती अजान
मीठी इलाके में दोनों समुदाय के लोग एकदूसरे की धार्मिक भावनाओं का पूरा ख्‍याल रखते हैं. इसीलिए जब मंदिरों में पूजा होती है तो मस्जिदों में लाउडस्‍पीकर से अजान नहीं होती है. वहीं, जब अजान का वक्‍त और पूजा का समय एक हो तो मंदिर में भी लाउडस्‍पीकर से पूजा नहीं की जाती है. दोनों समुदाय सुनिश्चित करते हैं कि बाहर की घटनाओं से इलाके का सांप्रदायिक सौहार्द्र बेअसर रहे. इस इलाके में लोगों का आपसी मेलजोल ही है, जिसकी वजह से यहां अपराध भी बेहद कम होते हैं. इस क्षेत्र की संस्कृति पर सू‍फीवाद का जबरदस्‍त असर देखा जाता है. आपसी साहार्द्र ही है कि यहां हिंदू मुहर्रम के दौरान कोई शादी समारोह नहीं करते हैं.

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थारपारकर के मीठी की जमीन में दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कोयले का भंडार है. (Faxebook/All Pakistan Hindu Panchayat)

दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कोयला भंडार
सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों के कारण महठी थारपारकर जिले का केंद्र बन गया है. यहां की जमीन में 175 अरब टन कोयला है, जो दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा कोयला भंडार है. मीठी के लोगों के लिए इलाके में हर तरह की सुविधाएं हैं. इस इलाके में सरकारी अस्‍पताल समेत कई निजी अस्‍पताल भी हैं. मीठी में हिंदू-मुस्लिमों ने आपसी सौहार्द्र की मिसाल तब पेश की, जब साल 2015 में सिंधी गायक सादिक फकीर का निधन हो गया. उनके निधन के दिन होली थी, लेकिन किसी ने रंग नहीं खेला. पूरा शहर शोक मना रहा था. यहां तक कि मीठी के एक निजी स्कूल की प्राध्यापिका कमला पूनम भारत के हैदराबाद से आकर पाकिस्तान में बसी हैं.

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