पाकिस्तान: इमरान समर्थकों पर सैन्य अदालतों में मुकदमों के समर्थन वाले प्रस्ताव के विरोध में हंगामा

Imran Khan

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कार्यवाही पुन: शुरू हुई तो पीएमएल-एन की सदस्य सादिया अब्बासी ने अपनी बात रखने पर जोर दिया जिसके बाद उप सभापति ने उन्हें बोलने की अनुमति दी। अब्बासी ने कहा कि सदन में नियमों की अनदेखी करते हुए केवल 11-12 सदस्यों की मौजूदगी में प्रस्ताव पारित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को नकारने के तौर पर इस तरह के प्रस्ताव को पारित करने के लिए सदन का इस्तेमाल किया गया।

पाकिस्तान में तीन प्रमुख राजनीतिक दलों के अनेक सांसदों ने सैन्य अदालतों को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को खारिज करने का प्रस्ताव हड़बड़ी में पारित करने का आरोप लगाते हुए सीनेट में इसके खिलाफ प्रदर्शन किया।
खबरों के अनुसार, सांसदों ने इस प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग की।
उच्चतम न्यायालय ने 23 अक्टूबर को सैन्य अदालतों में आम नागरिकों पर मुकदमों को निष्प्रभावी करार दिया था और अधिकारियों को आदेश दिया था कि नौ मई के हिंसक प्रदर्शनों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों के मामलों में सुनवाई सामान्य फौजदारी अदालतों में की जाए।
उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने आदेश सुनाया था कि सैन्य अधिनियम के तहत गिरफ्तार 102 आरोपियों पर फौजदारी अदालतों में मुकदमा चले।

‘द न्यूज इंटरनेशनल’ अखबार के अनुसार, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएलएन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और जमात-ए-इस्लामी (जेआई) के सीनेटरों ने एक दिन पहले पारित प्रस्ताव के खिलाफ मंगलवार को सीनेट में जोरदार हंगामा किया। प्रस्ताव में सैन्य अदालतों को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को खारिज किया गया है।
अखबार की खबर में दावा किया गया है कि सदन में सोमवार को करीब 11-12 सांसदों की मौजूदगी में प्रस्ताव रखा गया और इसे स्वीकार कर लिया गया। प्रदर्शनकारी सांसदों ने इस प्रस्ताव को वापस लिये जाने की भी मांग की।
‘द डॉन’ अखबार ने बताया कि सीनेट में इस मुद्दे पर शोर-शराबा होने और कोरम नहीं होने के कारण उप सभापति मिर्जा मुहम्मद अफरीदी ने कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद स्थगित कर दी।

कार्यवाही पुन: शुरू हुई तो पीएमएल-एन की सदस्य सादिया अब्बासी ने अपनी बात रखने पर जोर दिया जिसके बाद उप सभापति ने उन्हें बोलने की अनुमति दी।
अब्बासी ने कहा कि सदन में नियमों की अनदेखी करते हुए केवल 11-12 सदस्यों की मौजूदगी में प्रस्ताव पारित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को नकारने के तौर पर इस तरह के प्रस्ताव को पारित करने के लिए सदन का इस्तेमाल किया गया।

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