पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान की थी इस शिव मंदिर की स्थापना, यहां हर मन्नत होती है पूरी!

सौरभ वर्मा/रायबरेली: जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर रायबरेली और उन्नाव सीमा के मध्य महाभारत कालीन महादेव का मंदिर है. मान्यता है कि इसे पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान स्थापित किया था. यहां रायबरेली समेत कई अन्य जनपदों से श्रद्धालु दर्शन व पूजन के लिए आते हैं. कहा जाता है यहां दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और हर प्रकार की सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं रायबरेली के बछरावां कस्बे के पस्तौर गांव में स्थित कंजेश्वर महादेव मंदिर की. मान्यता है कि इस मंदिर पर 11 सोमवार दर्शन करने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है.

मंदिर के मुख्य पुजारी महंत विचित्रा नंद ब्रह्मचारी महाराज (श्री पंच अगनीय अखाड़ा वाराणसी ) बताते हैं कि यहां के पूर्वज बताते थे कि यह मंदिर लगभग 150 वर्ष से भी अधिक पुराना है. यहां पर पहले विशालकाय जंगल हुआ करता था. जहां पर पांडव अपने अज्ञातवास  के दौरान रुके हुए थे. उन्होंने ही इस कंजेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की थी. उसके बाद यहां पर बाबा चंद्रिका प्रसाद ने  तपस्या की थी. इसीलिए इसे बाबा चंद्रिका प्रसाद की तपोस्थली भी कहा जाता है. दो जनपदों की सीमा पर स्थित मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. यहां पर सोमवार को भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.

लोगों की आस्था का है प्रमुख केंद्र

पुजारी महंत विचित्रा नंद ब्रह्मचारी महाराज बताते हैं कि यहां पर प्रत्येक सोमवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन व पूजन के लिए आते हैं. भगवान शिव उनकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं. मंदिर पर अपने परिवार के साथ दर्शन करने आई उन्नाव जिले के लोहार मऊ गांव की रहने वाली रुचि शर्मा ने बताया कि आज उनके बेटे का जन्मदिन है. इसीलिए वह अपने परिवार के साथ मंदिर पर पूजन-अर्चन करने आई है. क्योंकि बाबा कंजेश्वर महादेव की कृपा से ही उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी. इसीलिए वह बीते 6 वर्षों से यहां पर दर्शन के लिए आ रही हैं.

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