हिमांशु जोशी/ पिथौरागढ़.आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति सबसे प्राचीन पद्धति मानी जाती है, जिसे असरदार तरीके से सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐलोपैथिक के अस्तित्व में आने के बाद आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के इस्तेमाल में जरूर कमी देखने को मिली लेकिन अब इसे फिर से बढ़ावा मिलते हुए देखा जा सकता है क्योंकि आयुर्वेद से जुड़कर कई युवाओं ने इसके प्रचार-प्रसार के साथ ही ऐलोपैथिक से इलाज न मिल पाने के बाद भी आयुर्वेद चिकित्सा से उस बीमारी का इलाज कर रहे हैं.
शिवाश्रम में मिल रहा है प्राकृतिक इलाज
आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में खुले पहले पंचकर्म अस्पताल की, जिसका नाम शिवाश्रम है. यहां लोगों का आयुर्वेद पद्धति से इलाज तो हो ही रहा है, साथ ही प्राकृतिक रूप से मिलने वाली जड़ी-बूटियों से भी रोगों का इलाज हो रहा है. आज ऐसे ही एक पौधे और उससे होने वाले फायदे के बारे में हम बात कर रहे हैं, जिसकी जानकारी ‘लोकल 18’ को यहां के योगाचार्य विजय प्रकाश जोशी ने दी है. उन्होंने बातचीत में बताया कि पहाड़ों में आमतौर पर सबसे ज्यादा गठिया रोग और जोड़ों में दर्द की शिकायत के लोग उनके पास आते हैं. इसका इलाज भी हमारे आसपास मौजूद चीजों से भी सम्भव है.
इंडा नाम के पौधे में होते हैं चमत्कारी गुण
पहाड़ों में इंडा नाम का एक पौधा होता है, जिससे अरंडी का तेल भी बनाया जाता है, जो जोड़ों के दर्द में एक काफी असरदार होता है. उन्होंने बताया कि तिल के तेल या अन्य प्रकार से आयुर्वेदिक तेलों के साथ इस पत्ते को बांधने में दर्द से बहुत जल्द राहत मिलती है. साथ ही उन्होंने कहा है कि लोग उनके कार्यालय शिवाश्रम से निशुल्क प्राकृतिक जड़ी बूटियां प्राप्त कर सकते हैं. जो कई रोगों में असरदार हैं. पिथौरागढ़ में खुले इस आयुर्वेदिक अस्पताल में पंचकर्म की अनेक पद्धति से भी लोगों का इलाज किया जा रहा है. किसी भी प्रकार की समस्या में सलाह लेने के लिए आप योगाचार्य विजय जोशी से इस नम्बर 9917712188 पर संपर्क कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 22, 2023, 13:50 IST