पहाड़ों के बीच में वासुकी ताल जितना खूबसूरत… उससे ज्यादा धार्मिक महत्व

सोनिया मिश्रा/ रुद्रप्रयाग.उत्तराखंड शब्द जेहन में आते ही देवभूमि, मंदिर, पहाड़, घास के बुग्याल, खूबसूरत और घने पहाड़, नदियां, झरने यही आते हैं न दिमाग में. इसके इतर इस रिपोर्ट में जरा यहां के खूबसूरत तालों का भी रुख कर लेते हैं, जो अपनी खूबसूरती, बनावट, धार्मिक मान्यता के लिए मशहूर होते ही हैं लेकिन यहां ट्रेकिंग कर पहुंचना भी पहाड़ तोड़ने से कम नहीं होता है.उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में वासुकी ताल (Vasuki tal) खूबसूरत झील है. यहां केदारनाथ से 8 किमी की दूरी पार कर पहुंचा जाता है. यहां पहुंचने के लिए मंदाकिनी तट से लगे पुराने घोड़ा पड़ाव से होते हुए दूध गंगा के उद्धम की ओर सीधी चढ़ाई पार कर पहुंचा जाता है. ट्रेक की सबसे ऊंचाई वाली जगह जय विजय चोटी (धार) है. जहां से लगभग 200 मीटर उतरकर झील दिखाई देती है, लेकिन इसके आगे का 2 किलोमीटर का सफर बहुत कठिन है, जहां तक कम ही लोग पहुंच पाते हैं.

वासुकी ताल को ‘लैंड ऑफ ब्रह्मकमल’ भी कहा जाता है और सावन के महीने में भोलेनाथ को यहीं से लाए गए ब्रह्मकमल चढ़ाए जाते हैं. इन्हें लेने के लिए केदारनाथ से ब्राह्मण नंगे पांव वासुकी ताल पहुंचते हैं और केदारनाथ धाम वापस लौट कर इन्हे भोलेनाथ के चरणों में चढ़ाते हैं.

यह है धार्मिक महत्व
स्कंद पुराण में ताल में बारे में बताया गया है कि श्रावण मास की पूर्णमासी के दिन इस ताल में मणि युक्त वासुकी नाग के दर्शन होते हैं. वासुकी ताल की परिधि लगभग 700 मीटर है. इस तालाब केे पानी से सोन नदी निकलती है. यही सोन नदी, केदारनाथ से निकलने वाली मंदाकिनी से सोनप्रयाग नामक स्थान में मिलती है. वासुकी ताल का पानी बिल्कुल साफ है, हवा के बहाव के साथ पानी में खूबसूरती के साथ बनती तरंगे बेहद खूबसूरत लगती हैं, जिसे देखने के लिए ट्रेकर्स यहां पहुंचते हैं.
(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. LOCAL 18 किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

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