पहाड़ी की गोद में बसा यह स्कूल, नक्सली इलाकों में जगा रहा है शिक्षा का अलख, देखें VIDEO

जितेन्द्र कुमार झा/ लखीसराय. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जब बच्चों को स्कूल जाते देखते हैं तो मन में एक नई उर्जा सी उत्पन्न होती है. किसी ने ठीक ही कहा है कि भारत का एक भी ऐसा कोना नहीं बचा है, जहां बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. चाहे वह गंगा का मैदानी भाग हो या चाहे वह दुर्गम पहाड़ी का इलाका हो. आज हम आपको लखीसराय जिला के चानन प्रखंड अंतर्गत एक ऐसे हीं विद्यालय के बारे में बताएंगे जो पहाड़ों पर बसा हुआ है और इसकी स्थापना 1970 में की हुई थी. तभी से इस विद्यालय से पढ़कर बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर एवं अन्य विभागों में कार्यरत है. इस स्कूल से पढ़कर निकले बच्चे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सेवाएं देकर जिला और देश का नाम रोशन कर चुके हैं.

आर लाल चानन प्लस टू स्कूल लाखोचक में संस्कृत संकाय के शिक्षक सदानंद प्रसाद ने बताया कि काफी गर्व होता है कि इसी विद्यालय में पढ़कर यहीं बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं. सीमित संसाधन के बावजूद यह विद्यालय किसी से कम नहीं है. यहां के बच्चे तमाम क्षेत्रों में अपना लोहा मनवा चुके हैं. चाहे वह कनाडा में अभियंता रघुनंदन यादव जी हो या कृषि वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत राज किशोर जी हो, सभी इसी विद्यालय से पढ़कर निकले हैं.

60 से अधिक सीढ़ियां लगी हुई है
सदानंद प्रसाद ने बताया कि प्रत्येक दिन बच्चों को विद्यालय तक पहुंचने में 60 से अधिक सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है. इस स्कूल में एक हजार से अधिक बच्चे नामांकित हैं. सीढी की चढ़ाई कर स्कूल तक पहुंचने में बच्चों का मनोबल कभी कम नहीं हुआ है बल्कि उर्जा के साथ पटन-पाठन के लिए आते हैं. अंग्रेजी के शिक्षक मनोज पांडे बताते हैं की पिछले 7 वर्षों से इस विद्यालय में पढ़ा रहे हैं और प्रकृति की गोद में बसा यह विद्यालय बेहद खास है. सीढ़ियों के जरिए स्कूल तक पहुंचने में स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है.

यह विद्यालय जला रहा है शिक्षा का अलख
आर लाल चानन प्लस टू स्कूल लाखोचक के प्रधानाध्यापक उमेश शर्मा ने बताया कि पूर्व के समय में दुर्गम क्षेत्र में नक्सलवाद एक बहुत बड़ी चुनौती थी. अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, लेकिन सरकार और जिला प्रशासन ने मिलकर नक्सलवाद को समाप्त करने की ठान ली है. उनका भय लोगों के मन से समाप्त हो चुका है और जो लोग हैं वह अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. हालांकि प्रधानाध्यापक ने जिला शिक्षा विभाग से आग्रह किया है कि अगर विद्यालय का चारदिवारी का निर्माण कर दिया जाए तो बच्चों को असुविधा थोड़ी कम हो सकती है. इस स्कूल के बच्चे देश का नाम रोशन करते आए हैं और करते रहेंगे.

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FIRST PUBLISHED : October 1, 2023, 15:24 IST

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