पहले विश्व युद्ध का गवाह बना था शाहजहांपुर, ऐसे की थी मदद, जानें पूरा मामला

सिमरनजीत सिंह/ शाहजहांपुर: साल 1914 में हुए पहले विश्व युद्ध के दौरान शाहजहांपुर से भी सर्बिया को मदद की गई थी. तब ब्रिटिश शासन द्वारा बरेली गोला स्टेट रेल और अवध रोहिलखण्ड रेल मार्ग को जोड़ने वाले अहम रेल मार्ग की पटरियों को उखाड़ कर मेसोपोटामिया भेजा गया था. शाहजहांपुर से भेजी गई रेल पटरियों को युद्ध लड़ने के लिए बिछाया गया था. बाद में युद्ध समाप्त होने के बाद इन पटरियों को उखाड़ कर वापस भारत लाया गया. इतिहासकार डॉ. विकास खुराना ने बताया कि शाहजहांपुर में 1 मार्च 1873 को अवध-रोहिलखंड रेल लाइन बिछाई गई. उसके बाद 1887 में बरेली-गोला स्टेट रेल और 1890 में पुवायां लाइट रेल स्टीम ट्रॉम को बिछाया गया.

इसके बाद 1916 को कुमाऊं रुहेलखंड रेल को भी बिछाया गया था. बाद पहले विश्व युद्ध के दौरान ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध घोषित किया. रूस, फ्रांस और ब्रिटेन ने सर्बिया की सहायता की और जर्मनी ने आस्ट्रिया की. इसी दौरान शाहजहांपुर में पुवायां स्टीम ट्रॉम की पटरियों को उखाड़ कर मेसोपोटामिया भेजा गया. यहां इन पटरियों को युद्ध लड़ने के लिए बिछाया गया था. बाद में वर्ष 1922 में जब युद्ध समाप्त हुआ, तो उन्हें पटरियों को वापस फिर भारत लाया गया था.

शाहजहांपुर में कैसे हुआ रेल विस्तार
इतिहासकार ने बताया कि अवध-रोहिलखंड रेल मार्ग को अवध-रोहिलखंड कंपनी ने ही बिछाया था. यह एक मुख्य लाइन थी जो कहलिया से जिले में प्रवेश करती थी और बहगुल नदी के पुल के आगे जाकर जिले की सीमा को छोड़ देती थी. वही बाद में 1887 में गोला बरेली स्टेट रेल लाइन बिछाया गया. बाद में अवध-रोहिलखंड और बरेली गोला स्टेट रेल को जोड़ने के लिए पुवायां लाइट रेल नाम से एक स्टीम ट्रॉम वे बनाया गया जो भैंसी, गोमती और खन्नौत नदी को पार करती थी.

पहले विश्व युद्ध के दौरान बंद स्टीम ट्रॉम
इस रेल लाइन को बिछाने के लिए शाहजहांपुर के सात व्यापारियों ने उस दौरान करीब चार लाख रुपए खर्च किए थे. इस स्टीम ट्रॉम में सवारी डिब्बे भी लगाए गए थे. यह रेल लाइन केरू एंड कंपनी के इंजीनियर एरिक गैजेट के द्वारा बिछाई गई थी. लेकिन पहले विश्व युद्ध के दौरान जब यहां से पटरियां उखाड़ ली गई तो फिर यह स्टीम ट्रॉम बंद हो गई.

फिर से रेल लाइन शुरू करने की मांग जारी
आपको बता दें कि अवध रोहिलखंड रेल मार्ग और बरेली गोला स्टेट रेल को जोड़ने वाली यह रेल लाइन भले ही अब बंद है लेकिन इसको शुरू करवाने के लिए लगातार मांग उठती रही है. लोगों की मांग है कि इस रेल लाइन को फिर से शुरू कराया जाए. यह लोगों के लिए यातायात का सुगम और सस्ता साधन हो सकती है.

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