चुनाव आयोग (Election Commission) आज लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान करेगा. इसके साथ ही दुनिया के सबसे बड़े चुनावी समर की शुरुआत हो जाएगी. 1951-52 के पहले और 2019 में हुए आखिरी लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता लगता है कि आखिर क्यों भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है. पिछले 73 सालों में न सिर्फ मतदाताओं की संख्या बढ़ी है, बल्कि मत प्रतिशत से लेकर पोलिंग बूथ, पुलिसकर्मी, चुनाव लड़ने वाली पार्टियों, प्रत्याशियों की संख्या में भी कई गुना इजाफा हुआ है. आइये आपको लोकसभा चुनाव से जुड़े कुछ ऐसे ही दिलचस्प आंकड़े बताते हैं…
भारत में कितने मतदाता?
साल 1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में भारत की कुल आबादी 36 करोड़ के आसपास थी. उस चुनाव में 10 करोड़ 59 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. इसके बाद से भारत की आबादी भी बढ़ी और मतदाताओं की संख्या भी. 2019 के लोकसभा चुनाव में 61 करोड़ 47 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
2019 में कब और कितने चरण में मतदान हुआ था?
पहला लोकसभा चुनाव करीब 4 महीने चला था. 25 अक्टूबर 1951 से शुरू होकर 21 फरवरी 1952 तक चुनाव हुए थे. कुल 17 दिन मतदान हुए थे. जबकि 2019 का लोकसभा चुनाव कुल 7 चरण में हुआ था. 11 अप्रैल 2019 से शुरू होकर 19 मई 2019 तक चला था.
2019 में कितना वोट पड़ा था?
1951-52 के पहले लोकसभा चुनाव में जहां कुल 45.67 फ़ीसदी मतदान हुआ था तो 2019 के लोकसभा चुनाव में 67.40 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. यह भारत के लोकसभा चुनाव के इतिहास में सर्वाधिक मत प्रतिशत था.
कितने कैंडिडेट चुनाव लड़े थे?
1951-52 के पहले लोकसभा चुनाव में जहां 499 सीटों के लिए मतदान हुआ था तो 2019 में 543 सीटों के लिए मतदान हुआ. पहले चुनाव से 2019 तक प्रत्याशियों की संख्या में भी जबरदस्त इजाफा हुआ. 1951-52 में जहां 1874 उम्मीदवार मैदान में थे तो 2019 में 8054 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई. जिसमें 7322 पुरुष और 726 महिला उम्मीदवार थीं. 6 थर्ड जेंडर प्रत्याशियों ने भी किस्मत आजमाई थी.
कितनी पार्टियों ने चुनाव लड़ा?
1951-52 के लोकसभा चुनाव में कुल 53 पार्टियां चुनाव मैदान में उतरी थीं. जिसमें 14 राष्ट्रीय पार्टियां थीं और 39 क्षेत्रीय पार्टियां. 2019 के चुनाव में 673 पार्टियों ने अपनी किस्मत आजमाई. जिसमें 7 राष्ट्रीय पार्टियां और 43 क्षेत्रीय पार्टियां थीं.
कितने पोलिंग बूथ बने थे?
भारत के पहले लोकसभा चुनाव में मतदान के लिए देशभर में कुल 1,32,560 मतदान केंद्र बनाए गए थे. 2019 में मतदान कंद्रों की संख्या करीब 10 गुना बढ़ गई और 10,37,848 पोलिंग बूथ पर मतदान हुआ. 1951-52 में एक ऐसा पोलिंग बूथ था जिस पर सिर्फ 9 मतदाता पंजीकृत थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में एक और रिकॉर्ड बना. गुजरात के गिर सोमनाथ और ऊना में दो ऐसे पोलिंग बूथ थे, जहां सिर्फ एक-एक मतदाता पंजीकृत थे.
कितने मतदान कर्मी?
1951-52 के लोकसभा चुनाव में 489 रिटर्निंग ऑफिसर्स की ड्यूटी लगाई गई थी. 2019 के चुनाव में 543 रिटर्निंग ऑफिसर, 819 जनरल ऑब्जर्वर, 705 एक्सपेंडिचर ऑब्जर्वर और 299 पुलिस ऑब्जर्वर को तैनात किया गया था.
कितने पुलिस वालों की ड्यूटी?
भारत में लोकसभा चुनाव जीतने वृहद स्तर पर होता है. पारदर्शी तरीके से चुनाव संपन्न कराने के लिए बड़े पैमाने पर पुलिस वालों की ड्यूटी भी लगती है. 1951-52 के पहले लोकसभा चुनाव में जहां 3,38,854 लाख पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगी थी. तो वहीं, 2019 के आम चुनाव करीब 1 करोड़ 10 लाख पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी.

यह भी जान लीजिये…
भारत को यूं ही लोकतंत्र की जननी नहीं कहा जाता है, बल्कि इसके पीछे कई वजहें हैं. जैसे- भारत का चुनाव आयोग कम से कम 40 देश को चुनाव कराने की ट्रेनिंग देता है और बारीकियां सिखाता है. कई देशों के चुनाव अधिकारियों-कर्मियों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग सेशन आयोजित करता है.
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FIRST PUBLISHED : March 16, 2024, 12:30 IST