पहले पत्नी की हत्या, फिर खुद भी मौत को लगाया गले, छोटी सी रकम… ऐसे खुला राज

हाइलाइट्स

गुजरात में एक मर्डर की गुत्थी सुलझ गई है.
शख्स ने 2007 में 15 लाख रुपये का पर्सनल लोन लिया था.
शख्स ने 15 लाख रुपये की पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी भी ली थी.

सूरत: गुजरात के वलसाड में एक मर्डर की गुत्थी सुलझ गई है. दरअसल वलसाड कंज्यूमर कोर्ट ने मृतक अरुणा देसाई के बेटे जिमित देसाई को 15 लाख रुपये की बीमा राशि देने से इनकार कर दिया, जिसकी उसके पति ने हत्या कर दी थी. पुलिस ने साल 2008 के मामले को हत्या के रूप में दर्ज किया था और उनके पति रंजीत देसाई की आत्महत्या के कारण संक्षिप्त सारांश दायर किया था.

TOI के अनुसार एक महत्वपूर्ण निर्णय में, उपभोक्ता आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि चूंकि मृत महिला ने अपने पति का विरोध नहीं किया था, इसलिए वह ‘दुर्घटना बीमा’ का लाभ उठाने की चाल में भागीदार थी. इसमें आगे कहा गया कि उनका ‘गैर-प्रतिरोध’ साबित करता है कि उनकी मृत्यु हत्या थी नाकि आकस्मिक मौत. कोर्ट ने कहा कि बल्कि आत्महत्या या खुद को दी गई मौत थी.

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क्या था मामला?
केस हिस्ट्री के मुताबिक, वलसाड निवासी अरुणा देसाई ने दिसंबर 2007 में 15 लाख रुपये का पर्सनल लोन लिया था. लोन लेने के बाद उन्होंने 21 दिसंबर 2007 से 20 दिसंबर 2008 तक की अवधि के लिए 15 लाख रुपये की पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी भी ली थी. इसी बीच 12 दिसंबर 2008 को अरुणा अपने पति रंजीत देसाई के साथ वलसाड के धरमपुर स्थित भाव भावेश्वर मंदिर गईं. दोनों मंदिर के गेस्ट हाउस में कमरा नंबर 21 में रुके थे.

रंजीत कैंसर से पीड़ित थे, इसलिए उन्होंने कमरे में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली. हालांकि अपनी जान लेने से पहले उन्होंने मफलर से गला घोंटकर अपनी पत्नी की हत्या कर दी. पत्नी की हत्या करने के बाद रंजीत ने एक सुसाइड नोट लिखा जिसमें कहा गया कि उन्होंने अपनी पत्नी को मार डाला.

घटना के बाद क्या हुआ
उन्होंने अपने दामाद गालूभाई को भी फोन कर घटना की जानकारी दी और यह भी बताया कि वह आत्महत्या करने जा रहे हैं. घटना के बाद मृतक अरुणा के बेटे जिमित ने 15 दिसंबर 2008 को बीमा कंपनी को सूचित किया और 15 लाख रुपये का दावा दायर किया. 20 मई 2009 को बीमा कंपनी ने बेटे को सूचित किया कि उसका दावा खारिज कर दिया गया है. कंपनी ने उन्हें सूचित किया कि रंजीत देसाई ने जानबूझकर अरुणा देसाई की हत्या की है और इसे दुर्घटना की परिभाषा में शामिल नहीं किया जा सकता है.

इसके बाद दावेदार 2010 में बीमा कंपनी के खिलाफ सूरत उपभोक्ता अदालत में गया जहां अदालत ने दावेदार के पक्ष में आदेश दिया. जैसा कि बीमा कंपनी ने इस आदेश के खिलाफ अदालत में अपील की, नई अपील 6 मार्च, 2021 को स्वीकार कर ली गई. क्योंकि अदालत ने मामले को अपने उचित क्षेत्राधिकार में चलाने का आदेश दिया.

परिवार द्वारा किया गया प्लान
इसके बाद मामला वलसाड उपभोक्ता फोरम में स्थानांतरित कर दिया गया. शिकायतकर्ता ने अदालत में दलील दी कि मृतक और बीमाधारक अरुणा देसाई को नहीं पता था कि उस दिन उसकी हत्या होने वाली है. यह बात उनके पति रंजीत देसाई द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट से साबित होती है और इसलिए, यह स्पष्ट है कि यह अरुणा देसाई की एक दुर्घटना थी. इसलिए दावा मंजूर किया जाना चाहिए.

बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि यह घटना परिवार द्वारा पूर्व नियोजित थी. कर्ज लेने के बाद दंपति ने बीमाधारक को मारने की योजना बनाई ताकि उनके बेटे को कर्ज न चुकाना पड़े. चूंकि अरुणा देसाई के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं थे, इससे यह साबित होता है कि घटना के दौरान उन्होंने रंजीत देसाई का विरोध नहीं किया था. यह हत्या के लिए उसकी सहमति को साबित करता है.’

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अदालत ने बीमा कंपनी की दलीलों को स्वीकार कर लिया और कहा ‘PM रिपोर्ट के अनुसार, मृतक अरुणा देसाई के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं थे. अगर वह इस साजिश में शामिल नहीं होती तो विरोध करती और घटना को टाल देती. इसलिए, इसे आत्महत्या माना जा सकता है. इस स्थिति में, शिकायतकर्ता किसी भी पैसे पाने के लिए उत्तरदायी नहीं है. बीमा कंपनी का उसके दावे को खारिज करने का निर्णय सही और उचित है. इसलिए शिकायतकर्ता का आवेदन खारिज किया जाता है.’

Tags: Crime News, Gujarat

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