पहले कहा- तलाक चाहिए फिर बाद में जागा पत्नी प्रेम, कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

First said want divorce, then after six months wife’s love awakened: आपसी सहमति के बाद अगर पति-पत्नी तलाक के लिए कोर्ट में याचिका डालते देते हैं और फिर बाद में दोनों में से कोई एक तलाक नहीं देना चाहता तो क्या तलाक होगा या नहीं। इस मामले पर पारिवारिक न्यायालय जोधपुर ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आपसी विवाह-विच्छेद याचिका में पति द्वारा पारिवारिक न्यायालय जोधपुर में अपनी असहमति देकर मुकदमा खारिज करवाया। जिसे पत्नी द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती देने के बाद कोर्ट ने पत्नी की याचिका खारिज कर दी।

गोलनाड़ी आर्य समाज जोधपुर में किया प्रेम विवाह

दरअसल, बाली जिला पाली की रहने वाली कोमल माथुर ने अपनी स्वतंत्र सहमति से चौपासनी हाऊसिंग बोर्ड जोधपुर में रहने वाले चेतन सिंह चौहान से दिनांक 06-09-2013 को गोलनाड़ी आर्य समाज जोधपुर में प्रेम विवाह किया था। उन दोनों के इस विवाह से एक पुत्री आध्या उत्पन्न हुई थी जो अभी 7 साल की हो चुकी हैं। विवाह होने के कई वर्षों तक कोमल अपने पति चेतन सिंह के साथ जोधपुर में रहीं और बाद में अपने माता-पिता व चाचा के सिखावें में आकर अपने पीहर बाली में अपनी पुत्री के साथ जाकर रहने लगी। पति चेतन सिंह ने कई बार अपनी पत्नि व पुत्री को जोधपुर लाने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन कोमल माथुर उसके साथ जोधपुर नहीं लौटी थी, बल्कि उसने बाली पुलिस थाने में अपने पति व ससुराल वालों के खिलाफ दहेज मांगने तथा उसके साथ शारीरिक व मानसिक क्रूरता करने का मुकदमा दर्ज करा दिया।

पत्नी से नहीं चाहता पति तलाक लेना

इस मामले में पत्नि कोमल माथुर ने अपने पति चेतन सिंह को साफ कह दिया था कि वह अब अपनी पुत्री के साथ चेतन सिंह के यहाँ नहीं रहेगी और उसे चेतन सिंह से केवल तलाक चाहिए, तब चेतन सिंह ने मजबूरी में पारिवारिक न्यायालय जोधपुर में अपनी पत्नि के साथ मिलकर एक संयुक्त विवाह-विच्छेद याचिका प्रस्तुत कर दी थी, लेकिन 6 महीने बाद मोशन प्रार्थना-पत्र पेश करने से पहले पति चेतन सिंह ने यह विचार किया कि वह अपनी पत्नि व पुत्री से इतना प्रेम करता हैं कि उसे इनकों नहीं छोड़ना चाहिए, तब उसने पारिवारिक न्यायालय जोधपुर में एक प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया कि वह अपनी पत्नि व पुत्री को अपने साथ रखना चाहता हैं, और तलाक के लिए अब उसकी सहमति नहीं है। इसलिए उसका संयुक्त विवाह-विच्छेद प्रार्थना-पत्र खारिज किया जाए।

 पति दोबारा विवाह-विच्छेद याचिका को खारिज नहीं करा सकता 

इसके बाद पारिवारिक न्यायालय जोधपुर ने संयुक्त विवाह-विच्छेद प्रार्थना-पत्र खारिज कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ कोमल माथुर ने एक खण्डपीठ की दीवानी विविध अपील राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में पेश करके उसके एडवोकेट ने यह बहस की थी कि पारिवारिक न्यायालय में एक बार यदि संयुक्त विवाह-विच्छेद याचिका प्रस्तुत की जाती हैं तो पति या पत्नि दोनों में से कोई भी अपनी सहमति वापिस लेकर संयुक्त विवाह-विच्छेद याचिका को खारिज नहीं करा सकता हैं। पति चेतन सिंह चौहान के एडवोकेट निखिल भण्डारी ने अपनी बहस करते हुए यह तर्क प्रस्तुत किए कि संयुक्त विवाह-विच्छेद याचिका पारिवारिक न्यायालय में एक बार प्रस्तुत किए जाने के बाद पति या पत्नि दोनों में से किसी को भी हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के अन्तर्गत अपनी सहमति वापिस लेने का कानूनन अधिकार प्राप्त हैं और ऐसा होने पर पारिवारिक न्यायालय दोनों पक्षों का विवाह-विच्छेद नहीं कर सकता हैं बल्कि उसे केवल संयुक्त विवाह-विच्छेद याचिका खारिज करनी ही पड़ेगी।

कोमल माथुर की कोर्ट ने की अपील खारिज

राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर की खण्डपीठ के दोनों न्यायाधीश जस्टिस अरूण भंसाली व जस्टिस राजेन्द्र प्रकाश सोनी ने एडवोकेट निखिल भण्डारी के तर्कों से सहमत होते हुए कोमल माथुर की अपील को खारिज करने की इच्छा जताई जिस पर कोमल माथुर के एडवोकेट ने अपनी अपील को विड्रो करने की प्रार्थना की जिस पर दोनों न्यायाधीशगण ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर अपील को विड्रो की अनुमति देकर खारिज कर दिया।

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