पहले एक-दूसरे पर बरसाईं मिसाइलें, अब तनाव कम करने पर राज़ी ईरान-पाकिस्तान

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हमले के बाद बैकफुट पर पाकिस्तान

जवाब में, पाकिस्तान ने गुरुवार को ईरान में हमला कर दिया, और इसे आतंकियों के खिलाफ की गई कार्रवाई करार दिया. जैसे को तैसे वाले एक्शन के बीच दोनों देशों ने अपने-अपने राजदूतों को वापस बुला लिया, जिसके बाद सीमाओं के संभावित बंद होने और स्थानीय आबादी पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएं बढ़ गईं. संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका समेत अंतरराष्ट्रीय समुदायों ने दनों देशों से संयम बरतने का आह्वान किया, जबकि चीन ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की. हालांकि, पाकिस्तान के विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी और उनके ईरानी समकक्ष होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच शांति बहाली पर सहमति  बन गई. 

पहले ईरान और फिर पाकिस्तान ने किया हमला

ईरान ने मंगलवार को पाकिस्तान के बलूचिस्तान में सुन्नी चरमपंथियों जैश-अल-अद्ल के ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन से अटैक किए. पाकिस्तान ने कहा कि ईरान के हमलों में 2 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 3 लोग जख्मी हुए हैं. पाकिस्तान ने ईरान से इन हमलों के लिए गंभीर नतीजे भुगतने की बात कही थी. इसके एक दिन बाद पाकिस्तान ने ईरान के सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत के पंजगुर इलाके में उसी तरह का हमला किया है. ईरान के मुताबिक, इन हमलों में 9 लोगों की जान गई. हालांकि, इनमें से कोई भी ईरान का नागरिक नहीं था.

पाकिस्तान एयरफोर्स ने ईरान के सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत में चरमपंथी संगठन बोलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट के ठिकानों को निशाना बनाया.

पाकिस्तानी सेना का कहना है कि खुफ़िया सूचना के आधार पर किए गए इस हमले में किलर ड्रोन, रॉकेट और अन्य हथियारों का इस्तेमाल किया गया. बता दें कि इस हमले से कुछ घंटे पहले ही ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दोल्लाहियन ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष से फोन पर बात की थी.

ईरान-पाकिस्तान ने राजदूतों को बुलाया वापस

पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई के बाद ईरान ने पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी को तलब किया था. वहीं, पाकिस्तान के केयरटेकर प्रधानमंत्री वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम से समय से पहले ही वापस लौट आए. इससे पहले पाकिस्तान ने ईरान के राजदूत को देश छोड़ने का फरमान जारी कर दिया था. इसके अलावा तेहरान में मौजूद अपने राजदूत को भी फौरन वापस आने को कहा. 

संयुक्त राष्ट्र संघ और अमेरिका ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की. जबकि चीन ने पाकिस्तान और ईरान के बीच का विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने की पेशकश की थी. रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी और उनके ईरानी समकक्ष होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन के बीच मौजूदा गतिरोध को लेकर फोन पर बात हुई. लंबी चर्चा के बाद आखिरकार दोनों नेताओं ने तनाव कम करने पर सहमति जाहिर की.

ईरान- पाकिस्तान तनाव कम करने पर सहमत

जिलानी ने कहा, “आतंकवाद का मुकाबला करने और आपसी चिंता के अन्य पहलुओं पर करीबी समन्वय को मजबूत किया जाना चाहिए”. इस्लामाबाद के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, “वे मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति को कम करने पर भी सहमत हुए हैं.”

ईरान के विदेश मंत्री अमीर-अब्दुल्लाहियन ने एक बयान में कहा, “पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को बेअसर करने और उन्हें तबाह करने के लिए दोनों देशों का सहयोग जरूरी है”. इस बीच इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के एंटोनी लेवेस्कस ने कहा, “नई स्थिति का नतीजा यह है कि दोनों देशों के बीच स्पष्ट और प्रतीकात्मक रूप से समानता है.”

“आतंकवादियों के ठिकानों को बनाया निशाना”

इस बीच शुक्रवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक काकर ने आर्मी और इंटेलिजेंस एजेंसियों के चीफ के साथ एक इमरजेंसी सिक्योरिटी मीटिंग की. तेहरान और इस्लामाबाद दोनों ने कहा है कि उन्होंने विदेशी क्षेत्र में पनाह ले रहे घरेलू आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया है. 55 वर्षीय हाजी मोहम्मद इस्लाम ने कहा, “अगर ईरानी सीमा बंद कर देते हैं, तो लोग भूखे मर जाएंगे. इससे अधिक उग्रवाद फैल जाएगा, क्योंकि युवा अलगाववादी संगठनों में शामिल हो जाएंगे.”  बता दें कि बलूच अलगाववादी खनिज संसाधनों में बेहतर हिस्सेदारी के लिए लड़ रहे बड़े पैमाने पर गैर-शासित, गरीब क्षेत्र से पाकिस्तानी अधिकारियों के खिलाफ आंदोलन भी चला रहे हैं.

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