चुनाव आयोग ने अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ठहराया है। निश्चित रूप से यह अजित पवार के लिए बहुत बड़ी राजनीतिक जीत है और शरद पवार के लिए अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी हार या झटके के समान है। लोकसभा चुनावों के अलावा महाराष्ट्र में इस साल अक्टूबर में विधानसभा के भी चुनाव होने हैं। चुनाव मैदान में अब शिवसेना के साथ ही राकांपा भी दो अलग-अलग नाम और अलग-अलग चुनाव चिह्नों के साथ मैदान में होगी। जाहिर है, इस घटनाक्रम का बड़ा असर महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर पड़ेगा।
हम आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग ने घोषणा की है कि अजित पवार गुट ही असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) है। आयोग ने एक आदेश में अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को राकांपा का चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ भी आवंटित कर दिया। चुनाव निकाय ने कहा कि निर्णय में ऐसी याचिका की पोषणीयता के निर्धारित पहलुओं का पालन किया गया, जिसमें पार्टी संविधान के उद्देश्यों का परीक्षण, पार्टी संविधान का परीक्षण और संगठनात्मक तथा विधायी दोनों में बहुमत के परीक्षण शामिल थे। निर्वाचन आयोग का यह फैसला चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले आया है। चूंकि यह एक अर्ध न्यायिक आदेश है, इसलिए इस पर आयोग के तीनों सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए। आयोग ने आगामी राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर विशेष छूट देते हुए शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट को अपने राजनीतिक दल के लिए एक नाम का दावा करने और तीन प्राथमिकताएं प्रदान करने के लिए आज दोपहर तक का समय भी दिया। हालांकि शरद पवार ने आयोग से आग्रह करते हुए तीन दिन का समय मांगा है। हम आपको बता दें कि चुनाव निकाय ने 140 पेज के आदेश में कहा है कि इस आयोग का मानना है कि अजित पवार के नेतृत्व वाला गुट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) है और वह इसका नाम तथा चुनाव चिह्न “घड़ी” का उपयोग करने का हकदार है।
आयोग के फैसले के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि उनके नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को राज्य के अधिकांश विधायकों के साथ-साथ जिला अध्यक्षों का भी समर्थन प्राप्त है। निर्वाचन आयोग द्वारा उनके नेतृत्व वाले गुट को असली राकांपा घोषित किए जाने और पार्टी का चिन्ह आवंटित करने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अजित पवार ने कहा, “लोकतंत्र में, बहुमत मायने रखता है, यही कारण है कि निर्वाचन आयोग ने हमें पार्टी का नाम और चिन्ह आवंटित किया है।” उन्होंने कहा, ’50 विधायक हमारे (राकांपा) साथ हैं। साथ ही, राज्य के अधिकांश जिला अध्यक्ष, पार्टी प्रकोष्ठों के प्रमुख भी हमारा समर्थन कर रहे हैं।’ पवार ने कहा कि वह निर्वाचन आयोग के फैसले को पूरी विनम्रता के साथ स्वीकार करते हैं। निर्वाचन आयोग के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा के प्रतिद्वंद्वी गुट के दावे पर अजित पवार ने कहा कि हर किसी को ऐसा करने का अधिकार है।
जहां तक फैसले पर आई अन्य प्रतिक्रियाओं की बात है तो आपको बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि आयोग का फैसला तथ्यों और बहुमत पर आधारित है। हालांकि शरद पवार गुट ने निर्वाचन आयोग के फैसले को लोकतंत्र की हत्या करार दिया। इस गुट के नेता अनिल देशमुख ने कहा, “यह लोकतंत्र की हत्या है। जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है।” इसके साथ ही शरद पवार गुट की नेता सुप्रिया सुले ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट रूप से दो काम कर रहे हैं। सबसे पहले, हम उच्चतम न्यायालय जा रहे हैं। दूसरा, निर्वाचन आयोग ने हमें तीन नाम और तीन चुनाव चिह्न देने का विकल्प दिया है, तो हम निश्चित रूप से ऐसा करेंगे।’’ सांसद सुप्रिया सुले ने आयोग के फैसले को “अदृश्य ताकत की जीत” और महाराष्ट्र व मराठी लोगों के खिलाफ एक साजिश करार दिया। राकांपा के संस्थापक शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने नयी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, “ईसीआई का फैसला अदृश्य ताकत की जीत है। यह महाराष्ट्र और मराठी लोगों के खिलाफ एक बड़ी साजिश है। हालांकि, मैं इस फैसले से बिल्कुल भी आश्चर्यचकित नहीं हूं।” उधर, अजित पवार का साथ दे रहे राकांपा के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा, ‘‘हम इस बात पर संतोष व्यक्त करते हैं कि मामला अब सुलझ गया है। निर्वाचन आयोग ने एक विस्तृत आदेश जारी किया है। अब कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।’’ वहीं शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “ऐसा माहौल बनाया हुआ है पूरे देश में कि पैसा फेंक तमाशा देख, जनता के पैसों का दुरुपयोग हो रहा है, विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही है।” उन्होंने कहा कि शरद पवार वरिष्ठ नेता है वे यह लड़ाई भी डटकर लड़ेंगे।
इस बीच, अजित पवार गुट ने उच्चतम न्यायालय में बुधवार को कैविएट दायर की और निर्वाचन आयोग द्वारा उसे असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) घोषित करने के आदेश को शरद पवार गुट की ओर से चुनौती दिये जाने की स्थिति में उसका पक्ष भी सुने जाने का अनुरोध किया। वकील अभिकल्प प्रताप सिंह के जरिए कैविएट यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की गयी है कि अगर शरद पवार गुट उच्चतम न्यायालय का रुख करता है तो अजित पवार गुट के खिलाफ एकतरफा आदेश पारित न किया जाए और उसका भी पक्ष सुना जाए।
हम आपको याद दिला दें कि अजित पवार पिछले साल जुलाई में राकांपा के अधिकतर विधायकों के साथ अलग हो गए थे और उन्होंने महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना सरकार का समर्थन किया था। आठ अन्य विधायकों के शिंदे सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने से दो दिन पहले उन्होंने निर्वाचन आयोग में अपने गुट को असली पार्टी बताते हुए याचिका दायर की थी जिस पर आयोग ने यह फैसला सुनाया है।