पलामू में ग्रीन जोन में विसर्जित होंगी मां दुर्गा, स्वच्छता के लिए पूजा समितियां होंगी सम्मानित

शशिकांत ओझा/पलामू. जल प्रदूषण और जल संरक्षण को लेकर सरकार द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. वहीं पलामू जिला प्रशासन ने भी जल प्रदूषण की रोकथाम के लिये नई पहल की शुरुआत की है. जहां एक ओर सभी पंडालों में स्थापित दुर्गा मां की मूर्तियों का विसर्जन नदी और तालाबों में किया जाता रहा है. इस बार जिला प्रशासन की विशेष तैयारी है.

पलामू जिला उपायुक्त शशिरंजन द्वारा नए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. इस बार एनजीटी एवं झारखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार पलामू जिला अंतर्गत सभी दुर्गा पूजा समितियों के सहयोग से सभी मूर्तियों का विसर्जन तालाब, नदी आदि की बजाए कृत्रिम जल कुंड यानी ग्रीन जोन में होगा.

स्वच्छता प्रतियोगिता के तहत जिला प्रशासन करेगी प्रस्कृत
जिला प्रशासन पलामू द्वारा जल प्रदूषण की रोकथाम को लेकर एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है, इसके तहत आस्था से स्वच्छता प्रतियोगिता के तहत पुरस्कृत करने की तैयारी है. पर्यावरण सरंक्षण में सहयोग करने वाले पूजा समिति जिला स्तर पर आयोजन होने वाले \”आस्था से स्वच्छता\” प्रतियोगिता में भाग ले सकेंगे. “आस्था से स्वच्छता” प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार के रूप में 50,000 रुपए, द्वितीय पुरस्कार के रूप में 25,000 रुपए और तृतीय पुरस्कार के रूप में 10,000 रुपए की राशि प्रदान की जाएगी.

मूर्ति विसर्जन करने के नियम और शर्त
इस बार जिला प्रशासन द्वारा जगह जगह कृत्रिम कुंड बनाए जायेंगे. जहां पूजा समितियों को कृत्रिम कुंड में पृथक्करण करते हुए मूर्ति एवं पूजा सामग्री का विसर्जन करना है. इसके साथ साथ रुटलाइन का अनुपालन करते हुए कतारबद्ध तरीके से मूर्ति विसर्जन करना है. बायोडिग्रेडेबल सामग्री का पृथक्करण करते हुए विसर्जन करें और प्लास्टिक वेस्ट का पृथक्करण एवं सुरक्षित निस्तारण करना है. सभी पूजा पंडालों में कम से कम दो डस्टबिन का प्रयोग करना होगा. वहीं विसर्जन के दौरान रासायनिक रंग का प्रयोग करने पर प्रतिबंध है.

क्या कहते हैं जिले के उपायुक्त
इस संबंध में उपायुक्त ने कहा कि पुरानी परंपरा के अनुसार मूर्ति चिकनी मिट्टी से बनायी जाती है पर पिछले कुछ वर्षों से प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनाई जा रही है. प्लास्टर ऑफ पेरिस में कई हानिकारक रसायन शामिल होते हैं. इन मूर्तियों को सजाने के लिए प्लास्टिक एवं थर्माकॉल से बनी सामग्री का प्रयोग किया जाता है. इन मूर्तियों को जब जल में विसर्जन किया जाता है तो यह विषाक्त हो जाता है. उन्होंने कहा कि लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से “आस्था से स्वच्छता” प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है. हमारा प्रयास है कि लोग जागरूक हो जिससे हमारे तालाब, नदी के पानी विषाक्त न हो.

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