पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों के भोजन के लिए नई शोध,बुमा टेक्निक से होगा इंतजाम

रिपोर्ट- नीलकमल मेहरा 

पलामू. पलामू टाइगर रिजर्व से गायब हुए बाघों को एकबार फिर टाइगर रिजर्व इलाके में लाने की रणनीति बनी है. उसको लेकर के पलामू टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर और अधिकारी ने दूसरे टाइगर रिजर्व में प्रशिक्षण लेकर वापस लौटे हैं. बुमा तकनीक से हिरण और चीतल को बेतला से पकड़ कर दूसरे इलाके में शिफ्ट किया जाएगा. दरअसल राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व इन दिनों लगातार चर्चा में है. 9 अप्रैल 2023 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाघों की संख्या का नया आंकड़ा जारी किया है. नए आंकड़े के अनुसार देश में बाघों की कुल संख्या 3167 है जबकि झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व की बात करें तो मात्र एक बाघ की ही चर्चा है. यही वजह है कि लगातार पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की कमी को देखते हुए अब पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारी नए शोध करने में लगे हुए हैं.

बाघों को पलामू टाइगर रिजर्व के जंगलों में ठहराव के लिए बुमा तकनीक का इस्तेमाल कर बेतला के हिरण और चीतल को पकड़ कर टाइगर के संभावित ठिकानों पर छोड़ा जाएगा. उसको लेकर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर समेत अधिकारियों की टीम को कान्हा और बांधवगढ़  टाइगर रिजर्व में जाकर प्रशिक्षण लिया है. पीटीआर के डायरेक्टर कुमार आशुतोष का कहना है कि अब बाघ के खाना पानी के इंतजाम के दिशा में प्रयास किया जा रहा है. ज्यादा संख्या में चीतल और हिरण को बाघ के संभावित ठिकाने पर रखने की तैयारी चल रही है.

बुमा विधी के तहत किए जाएंगे कार्य 

पीटीआर डायरेक्टर के अनुसार बाघों के संभावित ठिकाने पर हिरण और चीतल की संख्या रहेंगे तो बाघ टिकेंगे. इस दिशा में काम हो रहा है. उसको लेकर के बुमा विधी के तहत कार्य शुरू कर दिए गए हैं. फिलहाल चार रेंज क्षेत्र चिन्हित किया गया है जिसमें छिपादोहर पूर्वी रेंज में दो ठिकाने हैं और बारेसांड  में दो ठिकाने है ,जहां हिरण और चीतल को बेतला से लाकर छोड़ा जाएगा. उस दिशा में कार्य शुरू कर दिए गए हैं.

ग्रासलैंड पर भी हो रहा विशेष कार्य

पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारी यह भी ट्रेनिंग लेकर लौटे हैं कि पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र के ग्रासलैंड को कैसे विकसित किया जाए ताकि चीतल और हिरण का को टाईगर रिजर्व क्षेत्र के सभी इलाके में ग्रास लैंड में अच्छे घांस उगेंगे तो हिरण और चीतल को पर्याप्त भोजन मिल सकेगा और उनकी जनसंख्या बढ़ सके. उनकी जनसंख्या बढ़ेगी तो बाघ स्वत उनका भोजन बनाने के लिए टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ठहराव होगा. डायरेक्टर कुमार आशुतोष का यह अभी कहना है कि वैसे इलाके में पानी का भी इंतजाम किया जा चुका है कई चकदम बनाए गए हैं वन विभाग द्वारा ताकि बाघों को पानी पीने की दिक्कत ना हो.अब सिर्फ उनके भोजन का  इंतजाम किया जा रहा है.

50 साल के बाद भी एक बाघ की पुष्टि 

बता दें, पलामू टाइगर रिजर्व को 1973-74 में स्थापित किया गया है. बाघों की संख्या को देखते हुए टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला था. तब बाघों की संख्या अच्छी खासी थी, मगर लगातार संख्या में गिरावट आते रहा और 2023 के गणना  में टाईगर रिजर्व के 50 साल पूरे होने के बाद सिर्फ एक बाघ होने की पुष्टि हुई है. बाघों की संख्या घटने के पीछे कई कारण है अधिकारियों के लापरवाही और टाइगर प्रोजेक्ट क्षेत्र में आबादी का होना. अब इन सब कमियों को दूर करने के दिशा में प्रोजेक्ट के अधिकारी काम करने में लगे हुए हैं और नई रणनीति के तहत काम शुरू किया है. ताकि पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ सके.

क्या कहते हैं शोध में लगे लोग 

पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों का दीदार करने के लिए कई राज्यों से पर्यटक आते हैं. मगर हाल के दिनों में पर्यटकों को भी निराशा हाथ लगती है. ऐसे में पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों द्वारा कई कार्य किए जा रहे हैं. अब नया शोध कितना रंग लाता है यह आने वाला समय बताएगा. फिलहाल पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारी और कमी लगातार नए शोध के तहत कार्य में लगे हुए हैं. पलामू टाइगर रिजर्व पर शुरुआती दौर से शोध करने वाले जानकार डीएस श्रीवास्तव का कहना है कि हाल के दिनों में लगातार पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाघों का गायब होना उसके पीछे कई बड़ी वजह है कोर एरिया में इंसानों का आवागमन, पालतू पशुओं का आवागमन. यह सब बड़ी वजह है. यह बाघों को डिस्टर्ब करता है, इस पर प्रोजेक्ट के अधिकारी को ध्यान देना होगा.

Tags: Jharkhand news, Palamu news, Tiger reserve

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