आशीष त्यागी/बागपत. एक समय ऐसा था जब महिलाओं की जिम्मेदारी घर के आंगन तक सिमटी हुई थी. पुरुष प्रधान सोच से धीरे-धीरे पर्दा हटना शुरू हुआ तो महिलाओं ने हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कदम ताल शुरू कर दिए. महिलाओं ने दिखाया कि आज की नारी पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. बागपत में रहने वाली 60 वर्षीय बालेश भी पुरुषवादी सोच के उस मिथक को तोड़ रही हैं. उनका योगदान समाज में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण है और दूसरी महिलाओं को प्रेरित कर सकता है कि वे अपने अधिकारों के लिए उठें और समाज में अपनी जगह बनाएं.
बालेश ने पति की बेरोजगारी से परेशान होकर खुद घर का खर्च उठाने का निर्णय लिया. उसने ई-रिक्शा खरीद कर उसे चलाना शुरु किया और परिवार का पालन पोषण करना शुरू किया. इसी रिक्शा से उसने अपने तीनों बच्चों की शादी की है. महिला का कहना है कि वह अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही है और रोड पर चलने में किसी तरह की कोई समस्या नहीं होती, बल्कि वह सुरक्षित महसूस करती है.
5 साल पहले खरीदा ई रिक्शा
बागपत निवासी 60 वर्षीय बालेश ने बताया कि पति बेरोजगार थे और आमदनी का कोई जरिया नहीं था. तीन बच्चे और खुद के खर्चे को उठाना मुश्किल हो रहा था. तब उसने कुछ करने का सोचा और ई-रिक्शा खरीदा और उसे चलाना शुरू किया, जिससे घर का खर्च अच्छे से चल रहा है. आज के समय में उसने अपने तीनों बच्चों की शादी कर दी है और खुद दंपतियों का खर्च आसानी से चला रही है.
रोड पर चलने पर सुरक्षा का भाव होता है महसूस
बालेश बताती है कि शुरुआत में तो उन्हें बड़ी दिक्कतो का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें यह काम करना आसान लगने लगा है. रोड पर किसी तरह की कोई समस्या नहीं होती और वह अपने आप को सुरक्षित महसूस करती हैं. स्थानीय लोगों के साथ-साथ पुलिसकर्मियों का व्यवहार भी उनके प्रति काफी अच्छा है, जिससे वह अपने काम को बड़ी आसानी से कर लेती हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 10, 2023, 20:59 IST