पतंग के लिए 15 किमी तक दौड़े नागपुर के 2 लड़के, जंगल में भटक गए रास्ता लेकिन..

नागपुर. महाराष्ट्र के नागपुर में पतंग का पीछा करते-करते घर से 15 किलोमीटर दूर जंगल में भटक गये दो लड़कों का पता लगा लिया गया है और उन्हें उनके परिवार को सौंप दिया गया है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी. काटोल पुलिस थाने के अधिकारी ने कहा कि दोनों लड़कों की आयु 10 से 13 वर्ष के बीच है और वे नरखेड तहसील के तोलापार गांव के रहने वाले हैं. ये दोनों शनिवार शाम को पतंग का पीछा करते-करते जंगल में खो गए थे.

उन्होंने कहा, ”सूचित किए जाने के बाद पुलिस के एक दल ने लड़कों की तलाश शुरू कर दी. दोनों उनके घर से लगभग 15 किलोमीटर दूर चिखली मैना गांव में मिले. उन्हें उनके परिवार को सौंप दिया गया है.’

मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की भी परंपरा
साल 2024 के पहले महीने में हिंदुओं का प्रमुख पर्व मकर संक्रांति मनाया जाएगा. इस पर्व का विशेष महत्व माना जाता है. ज्योतिष गणना के अनुसार नए साल में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. उस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी ति​थि और दिन सोमवार है. मकर संक्रांति पर सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं और इसके बाद करीब एक महीने मकर राशि में ही रहते हैं. इस त्योहार को देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की भी परंपरा है और लंबे समय से लोग इस दिन जमकर पतंगबाजी करते हैं.

पतंग के लिए 15 किमी तक दौड़े, नागपुर के 2 लड़के जंगल में भटक गए रास्ता लेकिन...

भगवान श्री राम ने शुरू की थी पतंग उड़ाने की परंपरा
पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा कहते हैं कि मकर संक्रांति पर पूरे देश में पतंग उड़ाई जाती हैं, इसलिए इसे पतंग पर्व भी कहा जाता है. संक्रांति पर पतंग उड़ाने का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है. दक्षिण भारत में पौराणिक ग्रंथ के अनुसार भगवान श्रीराम ने पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरुआत की थी. ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान श्रीराम ने जो पतंग उड़ाई थी, वो इंद्र लोक में चली गई थी. इसके बाद से आज भी इस परंपरा को निभाया जा रहा है.

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