नीरज कुमार/बेगूसराय. एक समय था जब किसी युवा को कोई काम नहीं मिलता था तो वह मजबूरी में खेती करता था. लेकिन, अब समय बदल गया है. अब तो पढ़-लिखकर युवा नई-नई तकनीक का इस्तेमाल कर खेती में ही अपना करियर बना रहे हैं. बेगूसराय के रहने वाले गौतम भी बीएससी पास हैं. पढ़ाई के दौरान ही केले की बागवानी की ओर गौतम का रुझान बढ़ना शुरू हुआ. गौतम ने बताया कि केले की बिक्री आसानी से हो जाती है. प्रत्येक साल कार्तिक माह तक बेचने के लिए उनका केला तैयार हो जाता है. यह छठ का समय रहता है. इस समय उन्हें प्रति घवद 500 रुपए मिल जाते हैं. वे बताते हैं कि सालाना कमाई की बात करें तो 6 लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है. यही कारण है कि वे अन्य युवाओं को भी खेती करने की सलाह देते हैं
चेरिया बरियारपुर प्रखंड के बिक्रमपुर पंचायत के निवासी गौतम कुमार ने बताया कि यूट्यूब से सीखकर वे पिछले 5 वर्षों से तीन बीघा में G-9 वैरायटी के केले की खेती कर रहे हैं. वे कहते हैं कि शुरुआत के दिनों में पड़ोसी किसानों से भी जाकर खेती के तरीके को सीखा. केले के पौधों को सुरक्षित रखने के लिए हवा और पानी के मैनेजमेंट को समझना पड़ा. इस तरह से होने वाले नुकसान को कम करते गया. उन्होंने बताया कि केले की बागबानी में पटवन पर विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ता है. इसके अलावा खेतों में उगने वाले जंगली घास को भी हर तीन महीने पर साफ करवाना पड़ता है.
तीन एकड़ में सालाना 1.50 लाख का खर्च
गौतम ने बताया कि सरकारी स्तर पर उन्हें सब्सिडी के रूप में एक एकड़ पर 68 हजार रुपए भी मिल रहे हैं. कृषि विभाग ही हर तीन साल पर G-9 वैरायटी का टिशू कल्चर पौधा उपलब्ध करा देता है. गौतम की मानें तो केला की खेती में प्रति एकड़ सालाना 50 हजार का खर्च आता है. तीन एकड़ में उन्हें1.50 लाख तक खर्च करना पड़ता है. वे बताते हैं कि अपनी खेत का पीएच मान 6-7.5 तक रखते हैं. जबकि खाद के रूप में प्रति कट्ठा 6 kg नाडेप कम्पोस्ट, 150 ग्राम नीम खली, 300 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट, 200 ग्राम नाइट्रोजन और 200 ग्राम पोटाश का इस्तेमाल करते हैं.
.
Tags: Begusarai news, Farming, Local18
FIRST PUBLISHED : March 13, 2024, 09:53 IST