पटाखे नहीं, रीवा रियासत में तोप चलाकर मनाई जाती थी दिवाली, मंदिरों पर पुष्‍प वर्षा का था खास अंदाज

आशुतोष तिवारी/रीवा. दीपावली का पर्व धूमधाम के साथ पूरे देश में मनाया जा रहा है. हर कोई अपने शैली में दिवाली का पर्व मना रहा है. रीवा राज परिवार के द्वारा भी अनोखे अंदाज में दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. बता दें कि पहले राज परिवार के द्वारा हवाई जहाज से मंदिरों में पुष्प वर्षा कराई जाती थी. इसके अलावा तोप चलाकर, मशाल और दीया जलाकर दिवाली मनाई जाती थी. इस विशेष दिवाली को देखने के लिए पूरे राज्य से लोग एकत्रित होते थे.

इतिहासकार असद खान ने बताया कि महाराजा वेंकटरमन सिंह जूदेव के कार्यकाल में बेहद रोचक तरीके से दिवाली मनाई जाती थी. वह एक ऐसे राजा रहे है, जिन्होंने नए सिरे से फौज तैयार की थी. उनके पास दो जहाज थे. एक का नाम था बघेल और दूसरे का नाम बांधव. महाराजा के पास एक स्क्वाडन भी था. साथ ही बताया कि वेंकटरमन सिंह के कार्यकाल में पारंपरिक रूप से दीया और चिराग तो जलाए ही जाते थे. खास बात यह थी कि इस दिन बांधव और बघेल नाम के हवाई जहाज से बांधवगढ़ में स्थित कुल देवता के मंदिर में पुष्प की वर्षा कराई जाती थी. उसके बाद इसी हवाई जहाज से रीवा के महामृत्युंजय किला के मंदिर में पुष्प वर्षा होती थी. कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही जिले के नागरिकों को बता दिया जाता था और वह सभी इस दृश्य को देखने के लिए किले में हुजूम लगाकर पहुंच जाते थे.

शहर के इन जगहों में लगाई जाती थी तोपें
इतिहासकार असद खान ने बताया कि दीपावली के दिन रीवा के किले में और शहर के कुछ हिस्सों में तोप की गर्जना सुनाई देती थी. दूर-दूर से लोग उसे देखने के लिए आते थे. साथ ही बताया कि रीवा किले के चारों ओर मशाल और चिराग जलाकर उसे रौशन किया जाता था. साथ ही राजघाट, अखाड़ा घाट, चांदमारी और बिछिया नदी के किनारे तोप लगाकर चलाई जाती थीं. उस दौर में यह नजारा देखने लायक था. हालांकि इसकी शुरुआत 16वीं सदी में हो चुकी थी, लेकिन विधवत तोप चलाकर और हवाई जहाज से पुष्प वर्षा करवाकर दिवाली 1820 के बाद महाराजा वेंकट रमण सिंह जूदेव के कार्यकाल से मनाई जाने लगी थी.

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FIRST PUBLISHED : November 12, 2023, 11:44 IST

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