पटना का ये डॉक्‍टर बना गणपति का सबसे बड़ा भक्‍त! क्लीनिक से लेकर घर तक 2100 मूर्तियों का कलेक्‍शन

सच्चिदानंद/पटना. शौक और आस्था का एक अनोखा संगम पटना में है, जिसको देख हर कोई दांत तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाता है. दरअसल पटना में एक ऐसे डॉक्टर हैं जिन्हें बप्पा की मूर्तियों को इकठ्ठा करने का शौक है. डॉ. आशुतोष त्रिवेदी का क्लीनिक विघ्नहर्ता की मूर्तियों से सजा हुआ है. कोई भी डॉक्टर साहब से मिलने या इलाज करवाने आता है तो मूर्तियों का कलेक्शन देख चौंक जाता है. कोई मरीज भी स्वस्थ्य होने के बाद उपहार स्वरूप उनको एक गणेश की मूर्ति दे देता है. वर्षों से यह सिलसिला चल रहा है. आलम यह है कि डॉ. आशुतोष त्रिवेदी के पास अब 2100 बप्पा की मूर्तियां हैं.

यही नहीं, डॉ. आशुतोष त्रिवेदी सभी मूर्तियों को अपने केबिन में सजा कर रखते हैं और रोज सुबह शाम-आरती भी करते हैं. इस कलेक्शन की सबसे बड़ी खसियत यह है कि हर मूर्ति एक-दूसरे से अलग है. किसी में बप्पा चारपाई पर आराम फरमा रहे हैं, तो किसी मूर्ति में विघ्नहर्ता चूहे की सवारी कर रहे हैं.

एक इंच से सात फीट तक की मूर्ति
पटना के मशहूर दंत चिकित्सक डॉ. आशुतोष त्रिवेदी के क्लीनिक को गणेश क्लीनिक भी कहा जाता है. जैसे ही आप उनसे मिलने जाएंगे, आपकी नजर 1800 के करीब गजानन की मूर्तियों पर पड़ेगी, जिनको वो अपने केबिन में सजा कर रखते हैं. जबकि 300 मूर्तियां उनके घर में भी है. इन मूर्तियों का साइज एक इंच से लेकर 7 फीट तक है. इसमें सोने-चांदी से लेकर दुर्लभ पत्थरों पर तरासी मूर्तियां शामिल हैं. डॉ. आशुतोष ने बताया कि इनमें दुबई, अमेरिका, फ्रांस, नेपाल, फिलीपींस, बैंकाक से लेकर देश के लगभग 20 से अधिक राज्यों में निर्मित मूर्तियों का कलेक्शन है. केरल, गुजरात और मुरादाबाद की दुर्लभ मूर्तियां भी इसमें शामिल हैं. कांसे की मूर्ति के साथ चावल के दाने और 7 अनाज वाली मूर्तियों के साथ नारियल और बांस की बनी गणेश की मूर्ति भी काफी आकर्षक हैं.

सिद्धिविनायक मंदिर से हुई इस सफर की शुरुआत
डॉ. आशुतोष ने बताया कि साल 2005-06 के दौरान वे मुंबई ट्रेनिंग के लिए गए थे. सिद्धिविनायक मंदिर से दर्शन कर लौटते समय गणेश जी की मूर्ति खरीदकर घर ले आए. उसको उन्होंने अपने इसी क्लीनिक में सजा कर रख दिया. वे कहते हैं कि मुझे यह मूर्ति काफी सुकून देती थी. इसके बाद मैं जहां भी गणेश की मूर्ति देखता था, खरीद लेता था. यहीं से गणेश की मूर्तियों के कलेक्शन का दौर शुरू हो गया. एक समय ऐसा आया जब मूर्तियों का कलेक्शन एक जुनून बन गया. अब तो जहां भी कोई गणेश की मूर्ति दिखती है, जो मेरे कलेक्शन की मूर्तियों से डिफरेंट होती है, तो उसे खरीद लेता हूं.

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गणेश का हर अंग देता है अलग संदेश
डॉ. आशुतोष ने बताया कि जब उनके मन में भगवान गणेश को जानने की जिज्ञासा शुरू हुई तो उनके बारे में पढ़ना शुरू किया. किताबों और ग्रंथों को पढ़ने के बाद उनको यह पता चला कि गणेश शुभता के प्रतीक हैं. इनके शरीर का हर अंग बड़ा संदेश देता है. जैसे बड़ा सिर बड़े दिमाग का संदेश देता है. बड़ा पेट बातों को पचाने का संदेश देता है. छोटी आंखें सूक्ष्म दृष्टि का संदेश देती हैं. चौड़े कान चौंकन्ना रहने और सूड़, नाक का विशेष रूप से इस्तेमाल करने का संदेश देता है. इसके अलावा छोटा मुंह कम बोलने का संदेश देता है. साथ ही बताया कि क्लीनिक के बाहर गणेश का मंदिर है, यहां 12 सालों से गणेश उत्सव काफी धूमधाम से मनाया जाता है.

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