पक्षियों के लिए गोवा-मनाली है बिहार की ये जगह, कश्मीर-लद्दाख से आते हैं पक्षी

गुलशन कश्यप/जमुई : बिहार के जमुई में इन दिनों राज्य का दूसरा पक्षी महोत्सव का आयोजन हो जा रहा है. राज्य का पहला पक्षी महोत्सव भी सरकार ने यहीं कराया था. यूं कहें तो बिहार में पक्षी महोत्सव मनाने का सिलसिला यहीं से ही शुरू हुआ था. ऐसे में आपके मन में भी यह जानने की लालसा होगी कि आखिर इस जगह में ऐसा क्या खास है कि सरकार के द्वारा इसी जगह को हर बार पक्षी महोत्सव मनाने के लिए चुना जाता है. जबकि बिहार में कई ऐसे पक्षी आश्रयणी हैं, लेकिन वहां इसका आयोजन नहीं करा कर जमुई जिला में ही कराया जाता है.

जान लीजिए ये है इसका सही जवाब
दरअसल, हम जिस जगह की बात आज कर रहे हैं वह बिहार के जमुई जिला स्थित झाझा प्रखंड में है. नागी-नकटी पक्षी आश्रयणी अपने पक्षियों की विशेषता के लिए जाना जाता है. यहां हर साल देश के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ विदेश और अन्य महाद्वीप से प्रवासी पक्षी चले आते हैं.

नवंबर माह से लेकर मार्च महीने तक यहां पक्षियों का बसेरा लगा रहता है और यही कारण है कि यहां हर साल पक्षी महोत्सव मनाया जाता है. इस जगह पर 150 से भी अधिक प्रजाति की 10 हजार से भी अधिक पक्षियों को चिन्हित किया जा चुका है. जो अपने आप में बेहद खास है, क्योंकि बिहार के किसी भी पक्षी आश्रयणी में आज तक इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों को चिन्हित नहीं किया गया है.

कश्मीर से लद्दाख और एशिया से यूरोप तक के पक्षी आते हैं यहां
नागी-नकटी पक्षी आश्रयणी में कश्मीर से लेकर लद्दाख और एशिया से लेकर यूरोप तक के प्रवासी पक्षी हर साल प्रवास करने आते हैं. नवंबर महीने से लेकर मार्च महीने की शुरुआती सप्ताह तक यहां पक्षी डेरा डाले रहते हैं. इसका कारण है कि उन इलाकों में ठंड के मौसम में सर्दी अधिक पड़ती है और बर्फबारी शुरू हो जाती है.

ऐसे में इन पक्षियों को सर्दी से राहत नहीं मिल पाती और वो यहां चले आते हैं. यह जगह पक्षियों के लिए काफी मुफीद है. इस वर्ष दक्षिण अमेरिका से फ्लॉक, हिमालय से हेडेड गूज, साइबेरिया से बर्ड लेसर बाइट फ्रंटिड गूज, ब्लैक विंड स्टिल्ट, अफ्रीका से सुरमल, तिब्बत से सेंक, गोल्डन फ्लावर, रूस से लालसर सहित चीन और मंगोलिया से भी पक्षियों का आगमन हुआ है.

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