जींद. पंजाब में युवाओं के विदेश जाकर नौकरी करने का चलन काफी प्रचलित है. कई युवा नौकरी की चाह में डॉलर कमाने के लिए गलत तरीके से विदेश चले जाते है, जिसका उन्हें भारी खामियाजा भुगतना पड़ता है. वहीं पंजाब के बाद अब हरियाणा के युवा भी विदेश का रुख कर रहे है. हरियाणा के जींद के दुड़ाना गांव के युवक जवान होते ही डॉलर कमाने की चाहत में विदेश चले जाते है. इस गांव की 2000 वोट की आबादी है और गांव के लगभग 350 युवक-युवती विदेशों में रह रहे है. विदेश जाने के लिए युवाओं के पास दो रास्ते होते है. पहला स्टडी वीजा पर विदेश जाना और दूसरा डंकी रूट के माध्यम से कई पड़ाव पार कर किसी दूसरे देश में प्रवेश करना. दूसरे देश में दाखिल होने के लिइ उपयोग किए जाने वाले पिछले दरवाजे के रास्ते को ही डंकी रूट कहा जाता है.
जींद के अलेवा खंड का यह गांव एक खुशहाल गांव है. यहां की लगभग 30 प्रतिशत आबादी सिख है. गांव में अच्छी-अच्छी कोठिया बनी हुई है. गांव के इक्का-दुक्का नौजवानों को छोड़कर लगभग सारे विदेश में गए हुए है. कोई इंग्लैंड में तो कोई अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल और न्यूजीलैंड में. प्रॉपर तरीके से विदेश गए कई युवक विदेशों में अच्छी तरीके से सेटल भी हो गए है. कई लोगों को अच्छी नौकरी भी मिल गयी तो कई अपना बिजनेस सेटल कर चुके है. वहीं कुछ युवक ऐसे भी है, जिनसे एजेंटो के बहकावे में आकर विदेश जाने के लिए अपनी जान भी दाव पर लगा दी.
युवक ने झांसे में आकर बेचा खेत
डंकी रूट से विदेश जाने वाले दुड़ाना गांव का युवक मनदीप सिंह पहले गांव में टैक्सी चलाता था. पिता छोटे से किसान, मां गृहणी और घर में दो छोटी बहने है. मनदीप का सपना था कि गांव के अन्य युवकों की तरह वह भी अमेरिका जाए. एजेंट से विदेश भेजने का 15 लाख में सौदा तय हुआ और उसके बहकावे में आकर मनदीप ने पिता की जो एक एकड़ जमीन थी वो भी बेच दी.
40 दिनों में बदतर हुई जिंदगी
लीबिया, इटली और ब्राजील होते हुए मनदीप अमेरिका तो पहुंच गया, लेकिन अवैध तरीके से जाने के कारण कैंप से ही मनदीप को डिपोर्ट कर दिया गया. यही से शुरू होता है जिंदगी तबाह करने वाला मनदीप का एक खौफनाक सफर, जिसकी मनदीप ने कल्पना भी नहीं की थी. अमेरिका से मनदीप को दुबई भेज दिया गया. दुबई से मास्को और मास्को से बेलारूस. बेलारूस से लोकेशन लगा कर मनदीप और उसके साथियो को बॉर्डर क्रॉस करवाया गया. बॉर्डर क्रॉस करके मनदीप और उसके साथी लातविया के जंगलों में पहुंच गए. यहां जंगल और दलदल से होते हुए लातविया आर्मी से पकड़ाए, जिसके बाद पिटाई, करंट के झटके और मौत के साये में मनदीप व उसके साथियों ने जंगल में 40 दिन गुजारे.
इंडियन एंबेसी ने पहुंचाया घर
मनदीप ने बताया की उसके पैरों के नाखून को प्लास से निकल दिया गया. उन्हें करंट के झटके दिए जाते थे. मनदीप की बेरहमी से इतनी पिटाई की गयी कि वो अब भी ठीक ढंग से चल नहीं पाता. कभी लातविया की आर्मी उन्हें बेलारूस में धकेल देती तो कभी बेलारूस की आर्मी दोबारा लातविया में. यहां बॉर्डर पर सेकड़ों बच्चे वापस आने के इंतजार में है. एजेंट कोई सुनवाई नहीं करते. वे कहते है आगे ही जाना है चाहे मर कर जाओ. 40 दिनों तक मनदीप घर के संपर्क में भी नहीं था. अंत में बेलारूस की आर्मी ने मनदीप की मदद कर उसे व उसके 20-22 साथियों को म्यूनिख पहुंचाया. यहां इंडियन एंबेसी ने मनदीप और उसके साथियों को व्हाइट पासपोर्ट पर इंडिया भेज दिया. 9 महीने विदेशों में धक्के खाने के बाद मनदीप अब घर वापस आ गया. उसके पास अब खोने को कुछ नहीं बचा है.
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FIRST PUBLISHED : November 28, 2023, 15:02 IST