पंजाब के कांग्रेस विधायक खैरा को एनडीपीएस मामले में मिली जमानत, दूसरे आपराधिक मामले में गिरफ्तार

कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत दर्ज 2015 के एक मामले में बृहस्पतिवार को जमानत दे दी, लेकिन आपराधिक भयादोहन के एक नये मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
पंजाब पुलिस ने कथित धमकी और आपराधिक भयादोहन के सिलसिले में बृहस्पतिवार सुबह भोलाथ विधानसभा क्षेत्र से विधायक खैरा के एक खिलाफ एक मामला दर्ज किया।
खैरा को 2015 के मामले के सिलसिले में पिछले साल सितंबर में गिरफ्तार किया गया, जिसके चलते राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और विपक्षी कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया था।
वह एक विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच के दौरान एनडीपीएस मामले में अपनी भूमिका सामने आने के बाद जमानत पाने के लिए प्रयासरत थे।

मादक पदार्थ का मामला फजिल्का के जलालाबाद में मार्च 2015 में दर्ज किया गया था। खैरा के कथित तौर पर करीबी सहयोगी गुरदेव सिंह सहित नौ लोगों के खिलाफ इस सिलसिले में मामला दर्ज किया गया था और बाद में उन्हें दोषी करार दिया गया।
पुलिस ने उनके पास दो किलोग्राम हेरोइन, सोने की 24 छड़ें, एक देशी पिस्तौल, प्वांइट 315 बोर की एक पिस्तौल और दो पाकिस्तानी सिम कार्ड बरामद किये थे।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से बृहस्पतिवार को जमानत मिलने के बाद, खैरा को कपूरथला पुलिस ने एक नये मामले में गिरफ्तार कर लिया।
खैरा को नाभा जेल से कपूरथला लाया गया और एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
कपूरथला पुलिस ने रणजीत कौर की शिकायत पर खैरा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 195ए (झूठा साक्ष्य देने के लिए किसी व्यक्ति को धमकी देना) और 506 (आपराधिक भयादोहन) के तहत मामला दर्ज किया है।
कौर 2015 के मामले के मुख्य गवाह कश्मीर सिंह की पत्नी हैं।

कौर ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि दो नकाबपोश व्यक्ति 15 अक्टूबर को एक मोटरसाइकिल से उनके घर आये और खैरा के खिलाफ अपना बयान वापस नहीं लेने की स्थिति में उनके परिवार को जान से मारने की धमकी दी।
उन्होंने आरोप लगाया है कि 22 अक्टूबर को उन्हें एक फोन आया और उनके परिवार का खात्मा करने की धमकी दी गई।
खैरा को 2015 के मामले से जुड़े धन शोधन के आरोपों पर 2021 में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। उन्हें 2022 में जमानत मिली थी।
पिछले साल फरवरी में, शीर्ष न्यायालय ने 2015 के मामले में खैरा के खिलाफ समन को रद्द कर दिया था।

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