न मंत्रोच्चारण हुआ और न ही अग्नि के सात फेरे, देखिए किस तरीके से हुई शादी

गुलशन कश्यप/जमुई : आपने बहुत सी शादियां देखी होगी, शादी का नाम जेहन में आते ही सबसे पहले जो चीज सामने आती है वह होता है मंत्र और अग्नि के साथ फेरे. शादी में अग्नि के सात फेरे कराए जाते हैं तथा सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें खाई जाती है. वर-वधु एक दूसरे के गले में वरमाला डालते हैं. यह शादी की एक सामान्य प्रक्रिया है जो हिंदू परिवारों में आमतौर पर देखने को मिलती है. लेकिन जमुई के एक शख्स ने ऐसी शादी की है, जिसमें ना तो पुरोहित आए, ना हीं अग्नि के सात फेरे हुए.

बस वर और वधू ने एक दूसरे के गले में वरमाला डाला और संविधान के एक विशेष अनुच्छेद को साक्षी मानकर एक दूसरे के साथ सात जन्मों के बंधन में बंध गए. इसके बाद अब यह शादी जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, जमुई जिला मुख्यालय के हांसडीह के रहने वाले आशीष नारायण ने निशा कुमारी से शादी की है तथा उन्होंने अपनी शादी के दौरान संविधान के एक विशेष अनुच्छेद का शपथ लिया तथा अपनी पत्नी के साथ सात जन्मों तक साथ निभाने का वायदा भी किया.

जमुई के आशीष ने निशा से की है शादी

दरअसल, यह शादी जमुई जिला मुख्यालय के हांसडीह के रहने वाले नारायण मंडल और सारो देवी के पुत्र आशीष नारायण तथा जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के रामकुरबा गांव निवासी सरोज रावत और अंबिका देवी की पुत्री निशा कुमारी के साथ संपन्न हुई है. आशीष नारायण पेशे से इंजीनियर हैं और उन्होंने एमटेक की पढ़ाई पूरी की है.

उन्होंने बताया कि महिलाओं को उनके अधिकार की जानकारी हो तथा उन्हें एक संदेश देने के लिए कुछ अलग तरीके से शादी करने की सोची. इसके लिए भारतीय संसद अधिनियम के विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत प्रेम और आपसी समन्वय के साथ स्वतंत्र रूप से एक दूसरे के विचार और व्यक्तित्व को सहर्ष स्वीकार करते हुए वैवाहिक रिश्ते में बंध गए.

लोगों को मनाने में आई थोड़ी मुश्किलें

आशीष नारायण ने बताया कि जब इस तरीके से शादी करने का फैसला किया तब उनके परिवार सहित वधू के परिवार के लोग भी थोड़े आश्चर्यचकित हो गए. उन्होंने पहले तो इसकी स्वीकृति नहीं दी. पर जब अपने विचारों से ससुराल पक्ष के लोगों को अवगत कराया तब तैयार हो गए. इसके बाद इसी तरीके से शादी की और निशा भी अलग तरीके से शादी करके खुश हैं. उन्होंने बताया कि ख्वाहिश थी कि शादी सामान्य लड़कियों की तरह हो, लेकिन जब पति ने अपने विचार से अवगत कराया तब मैं भी उससे सहमत हो गई और अनोखे तरीके से एक दूसरे के साथ रिश्ते में बनने का निर्णय लिया.

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