न बैटरी और ना ही बिजली…150 सालों से ऐसे ही चल रही ये 3 घड़ियां, आखिर कैसे बताती हैं सही समय?

अरशद खान/ देहरादून.उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सर्वे ऑफ इंडिया के कैंपस में तीन घड़ियां पिछले 150 सालों से लगातार चल रही हैं. ये घड़ियां हर 15 मिनट बाद अलार्म बजाती हैं. बता दें कि ये न तो लाइट से चलती हैं और न ही इसमें बैटरी या सेल लगा है. तो आखिर ये सही समय कैसे बताती हैं. महान वैज्ञानिक जेम्स पल्लाडियो की स्मृति में सर्वे ऑफ इंडिया भवन में इन्हें लगवाया गया था. ये घड़ियां पेंडुलम आधारित गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत पर काम करती हैं. इनमें चाबी भरनी पड़ती है और पेंडुलम की मदद से ये घड़ियां सही समय बताती हैं. एक समय इन घड़ियों की आवाज देहरादून के राजपूर तक जाती थी. उस वक्त पलटन बाजार के घंटाघर का निर्माण नहीं हुआ था, तब सर्वे ऑफ इंडिया की इन्हीं घड़ियों की गूंज से लोग समय का अनुमान लगाते थे. यह सन् 1874 की बात है.

लोकल 18 से बातचीत में सर्वे ऑफ़ इंडिया म्यूजियम के इंचार्ज अरुण कुमार कहते हैं कि इस बिल्डिंग में ही योजना बनी कि संपूर्ण भारत में नियमित गुरुत्वाकर्षण परीक्षण किया जाए. इसकी जिम्मेदारी वैज्ञानिक जेम्स पल्लाडियो बसेवी को दी गई. बसेवी एक महान वैज्ञानिक थे, जो गुरुत्वाकर्षण पर रिसर्च कर रहे थे. उन्होंने पेंडुलम के माध्यम से गुरुत्वाकर्षण की रिसर्च करना शुरू किया, लेकिन कश्मीर में रिसर्च के दौरान उनकी मौत हो गई. जिनकी याद में कुछ वैज्ञानिकों ने ₹2000 इकट्ठा करके इन घड़ियों को लगवाया. ये तीन अलग-अलग घड़ियां हैं, लेकिन तीनों आपस में एक ही मशीन से कनेक्ट हैं, इसलिए तीनों एक जैसा समय और एक साथ अलार्म बजाती हैं.

कैसे काम करती हैं 150 साल पुरानी घड़ियां?
150 साल पुरानी ये घड़ियां आम घड़ियों से बहुत ज्यादा अलग हैं क्योंकि इनमें मशीनरी बहुत बड़ी होती है, जो काफी ज्यादा स्पेस घेरती है. यह पेंडुलम और वजन के संतुलन पर काम करती है. इन घड़ियों में हफ्ते में दो दिन चाबी भरी जाती है. इन तीन घड़ियों में तीन चाबियां हैं, लेकिन ये तीनों घड़ियां एक साथ कनेक्टेड है. एक चाबी भरने पर घड़ी समय बताती है, दूसरी चाबी भरने पर घड़ी 15 मिनट में अलार्म बजाती है और तीसरी चाबी भरने पर घड़ी एक घंटे में अलार्म बजाती है. चाबियां वजन को ऊपर ले जाती हैं और जैसे-जैसे वजन नीचे आता है वैसे-वैसे घड़ियों में सुईं और पेंडुलम चलते हैं और इसी तरह से ये घड़ियां पिछले 150 सालों से चल रही हैं. जब भी इन घड़ियों की गूंज सर्वे ऑफ इंडिया के भवन में गूंजती हैं, तो महान वैज्ञानिक जेम्स पल्लाडियो बसेवी व सर्वे ऑफ़ इंडिया के काम की याद दिलाती है.

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