मो. सरफराज आलम/सहरसा.रासायनिक खाद के लगातार इस्तेमाल से खेतों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किसान अब दोबारा से देसी खाद बनाने शुरू कर दिए हैं. इसके इस्तेमाल से न सिर्फ खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, बल्कि फसल भी पोष्टिक होता है. सहरसा जिले के एक किसान भी देसी खाद बनाकर न सिर्फ अपने खेतों में इस्तेमाल करते हैं, बल्कि इसे बेचकर मोटा मुनाफा भी कमा रहे हैं. जी हां! हम बात कर रहे हैं जिले के बनगांव के प्रगतिशील किसान टुन्ना मिश्रा की. टुन्ना मिश्रा इन दिनों बड़े पैमाने परजैविक खाद तैयार कर रहे हैं. सरल भाषा में इसे वर्मी कंपोस्ट भी कहा जाता है.
दरअसल, वर्मीकंपोस्ट, केंचुओं से तैयार किया जाने वाला खाद है. इस खाद को बनाने के लिए न तो आपको बड़ी पूंजी की जरूरत होती है न ही फैक्ट्री लगाने की. बस थोड़ी सी खाली जमीन होना चाहिए. इस खाद में प्रचुर मात्रा में जीवांश कार्बन, लाभकारी सूक्ष्मजीव व पौधों के लिए उपयोगी तत्व पाए जाते हैं. किसान इसे अपने घर पर भी आसानी से बना सकते हैं. यही वजह है किसानों की दिलचस्पी वर्मीकंपोस्ट के बिजनेस में बढ़ी है.
दो से ढाई गुना का मुनाफा
जिले के बनगांव के किसान टुन्ना मिश्रा बताते है कि केंचुआ खाद तैयार कर उसे अपनी फसल में इस्तेमाल करने के साथ-साथ उसकी बिक्री भी कर रहे हैं. इससे उन्हें लाखों का मुनाफा हो रहा है. वह बताते हैं कि केंचुआ खाद को खेत पर ही तैयार करने के लिए 150 बेड बनाया है. जिसमें 3 महीने में यह खाद तैयार होता है. अपनी फसल के साथ-साथ खाद की भी बिक्री करते है. टूना मिश्रा यह भी बताते हैं कि यह खाद बाजार में 300 रुपए में 40 किलो की दर से बेचते हैं. वे बताते हैं कि इस खाद की बिक्री पर दो से ढाई गुना तक का फायदा होता है. जल्द ही वे अपने प्रोडक्ट कोऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी बेचने की तैयारी कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 07, 2023, 15:24 IST