नीरज कुमार/बेगूसराय. झोपड़ी देखकर आमतौर लोग यही अनुमान लगाते हैं कि अंदर में फटा पुराना कपड़ा आदि पड़ा होगा. लेकिन आप गलत हैं. क्योंकि यह झोपड़ी किसानों का ATM घर है. किसान को जब मन करता है, अंदर जाता है, जरूरत के मुताबिक मशरूम निकालकर बेच लेता है और इससे मिले रुपए से अपनी जरूरत को पूरा कर लेता है. ऐसे में अगर आप भी मशरूम उत्पादन की सोच रहे हैं, तो ट्रेनिंग लेने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र का रुख कर लीजिए. झोपड़ी में मशरूम तैयार करने के लिए 30 दिनों की मुफ्त ट्रेनिंग दी जा रही है. इसके साथ ही ‘मशरूम हट’ के लिए 50 फीसदी सब्सिडी भी दी जा रही है. इस योजना का लाभ लेकर प्रो. रामकुमार सिंह अच्छी कमाई कर रहे हैं.
बेगूसराय जिला मुख्यालय से 31 किलोमीटर दूर बिक्रमपुर पंचायत के रहने वाले किसान प्रो. रामकुमार सिंह ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि उन्होंने पिछले साल कृषि विज्ञान केंद्र से 30 दिनों का मशरूम हट का ट्रेनिंग लिया.इसके बाद 1500 स्क्वायर फीट में झोपड़ी बनाया. इसमें नवादा से बीज लाकर फिलहाल 250 पैकेट में मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं.45 दिनों के बाद मशरूम बिकने के लिए तैयार हो गया. इसके बाद से रोजाना मशरूम का उत्पादन हो रहा है.
मशरूम उत्पादन पर सरकार दे रही सब्सिडी
उन्होंने बताया कि मशरूम उत्पादन के लिए झोपड़ी के टेंपरेचर पर विशेष रूप से ध्यान रखना होता है. उत्पादन और क्वालिटी भी इसी पर निर्भर करता है. किसान के मुताबिक वे हर महीने लगभग 50 हजार का मशरूम बेच लेते हैं. दूसरी ओर,जिला उद्यान पदाधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि मशरूम उत्पादन के लिए झोपड़ी तैयार करने में 1.79 लाख का खर्च आता है. इस पर उद्यान निदेशालय की ओर से 50 फीसदी यानी 89,750 की सब्सिडी दी जा रही है.
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FIRST PUBLISHED : February 29, 2024, 10:32 IST