न्याय प्रणाली में आम आदमी के लिहाज से बड़ा बदलाव लाई है सूचना प्रौद्योगिकी: न्यायमूर्ति बोस

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने बृहस्पतिवार को कहा कि आम आदमी के लिहाज से न्याय प्रणाली में सूचना प्रौद्योगिकी से बड़ा बदलाव आया है।

न्यायमूर्ति बोस ने विधिक समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों का भी उल्लेख करते हुए कहा कि कानूनी प्रक्रिया में क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग करने की जरूरत है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वैकल्पिक विवाद निवारण प्रक्रियाओं से अदालतों में लंबित मामलों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी।

न्यायमूर्ति बोस ने उच्चतम न्यायालय बार संघ द्वारा आयोजित एक समारोह में ‘न्याय प्रदान करने की प्रणाली और अधिवक्ताओं की भूमिका’ विषय पर अपने व्याख्यान में ये बातें कहीं।

उन्होंने कहा, ‘‘सूचना प्रौद्योगिकी से प्रणाली के आम लोगों के लिहाज से काम करने की दिशा में बहुत बड़ा बदलाव आया है। आज, हम लगभग सभी फैसले देख सकते हैं, जो हमें उपलब्ध हैं और वर्चुअल प्रणाली के साथ लक्षद्वीप या निकोबार द्वीप समूह का भी कोई वादी यह पता लगा सकता है कि उसका मामला कैसे चल रहा है, जो एक बड़ी बात है।’’

न्यायमूर्ति बोस ने कहा कि विधिक समुदाय के सामने आज एक बड़ी चुनौती कानूनी प्रक्रिया के माध्यम के रूप में क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग की है।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप न्याय तक पहुंच की बात करते हैं तो अंतत: अन्य किसी की जगह मातृको देनी होगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



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