न्यायालय में सुनवाई से पहले अडाणी समूह ने विदेशी इकाइयों की मंशा पर सवाल उठाए

अडाणी समूह ने सोमवार को कहा कि कुछ विदेशी इकाइयां उसके बाजार मूल्य को कम करने और उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए बेबुनियाद आरोप लगाकर सुनियोजित हमले कर रही हैं।
अडाणी समूह ने उच्चतम न्यायालय में सुनवाई से पहले यह बात कही। समूह ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया है।
न्यायालय इस सप्ताह अडाणी समूह के खिलाफ लगे वित्तीय धोखाधड़ी और शेयर की कीमतों में हेराफेरी के आरोपों पर बाजार नियामक सेबी द्वारा की गई जांच पर सुनवाई करेगा।
अडाणी समूह ने अपने बयान में कहा कि एक विदेशी प्रकाशन पहले विफल होने के बाद एक बार फिर कोयला आयात के अधिक चालान के निराधार आरोप को उछालकर समूह को वित्तीय रूप से अस्थिर करने की एक और कोशिश कर रहा है।

बयान के मुताबिक, इस प्रकाशन ने जो कहानी तैयार की है, वह 30 मार्च 2016 के राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) के सामान्य चेतावनी परिपत्र पर आधारित है।
बयान में कहा गया कि प्रकाशन ने सिर्फ अडाणी का जिक्र किया, जबकि डीआरआई के परिपत्र में अडाणी समूह की कंपनियों सहित 40 आयातकों का उल्लेख है।
बयान के मुताबिक, इस सूची में न केवल भारत के कुछ प्रमुख निजी बिजली उत्पादक जैसे रिलायंस इंफ्रा, जेएसडब्ल्यू स्टील और एस्सार शामिल हैं बल्कि कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा, तमिलनाडु की राज्य बिजली उत्पादक कंपनियां और एनटीपीसी तथा एमएसटीसी भी शामिल हैं।
डीआरआई ने अपने परिपत्र में अडाणी समूह की कंपनियों पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) स्थित इकाई को आयातित उपकरण और मशीनरी के लिए अधिक मूल्य देने का आरोप लगाया था।

इसमें कथित तौर पर यह संदेह जताया गया था कि इस लेनदेन में इस्तेमाल किए गए कुछ कोष को वापस अडाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश किया गया।
हालांकि सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (सीईएसटीएटी) ने इसे मामले को रद्द कर दिया था। इसके बाद डीआरआई ने उच्चतम न्यायालय में अपील की थी लेकिन उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया।
अडाणी समूह ने अपने बयान में कहा कि कोयले के आयात में अधिक कीमत देने के आरोप को अपीलीय न्यायाधिकरण (सीईएसटीएटी) ने खारिज कर दिया है।
समूह ने कहा कि विदेशी प्रकाशन सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों और सूचनाओं को हेराफेरी करके और चुनिंदा रूप से गलत तरीके से पेश करते हुए पूर्व-निर्धारित निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश कर रहा है।
बयान में कहा गया, ऐसा करना भारत की नियामकीय एवं न्यायिक प्रक्रियाओं तथा अधिकारियों के प्रति बहुत कम सम्मान को दर्शाता है।इसमें जानबूझकर इस तथ्य को भी नजरअंदाज किया गया कि भारत में दीर्घकालिक आपूर्ति के आधार पर कोयले की खरीद एक खुली, पारदर्शी, वैश्विक बोली प्रक्रिया के जरिए की जाती है। इससे कीमतों में हेरफेर की कोई भी गुंजाइश खत्म हो जाती है।

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