न्यायालय ने सजा निलंबित किए जाने संबंधी आसाराम की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम की उस याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार किया जिसमें उसने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से सजा निलंबित करने का अनुरोध किया था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से राहत के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा। 

रोहतगी ने अदालत को सूचित किया था कि आसाराम सरकारी वकील के इस बयान को मानने के लिए तैयार हैं कि वह महाराष्ट्र के खोपोली में माधवबाग हार्ट हॉस्पिटल में पुलिस हिरासत में रहते हुए इलाज करा सकते हैं। इस पर पीठ ने आसाराम से कहा कि वह माधवबाग हार्ट हॉस्पिटल में इलाज कराने के संबंध में राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष अर्जी दाखिल करें और इस पर कानून के अनुसार विचार किया जाएगा। न्यायमूर्ति खन्ना ने मामले में दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय के समक्ष अपील पर सुनवाई में देरी के लिए आसाराम की ओर से जानबूझकर किए गए प्रयासों पर भी सख्त रुख अपनाया। 

रोहतगी ने कहा कि आसाराम को दिल के कई दौरे पड़ चुके हैं और वृद्धावस्था संबंधी कई बीमारियां भी हैं, इस पर शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय को अपील पर शीघ्र सुनवाई करने के निर्देश दिए। वकील राजेश गुलाब इनामदार के माध्यम से दायर अपनी याचिका में आसाराम ने कहा कि वह इस मामले में 11 साल सात महीने से अधिक वक्त से जेल में है। 

आसाराम को जोधपुर की विशेष पॉक्सो अदालत ने बलात्कार सहित यौन उत्पीड़न के विभिन्न अपराधों के लिए 2018 में दोषी ठहराया था और उसे ताउम्रकारावास की सजा सुनाई थी। उसे अपने आश्रम में एक नाबालिग से बलात्कार के आरोप में इंदौर में गिरफ्तार किया गया था और जोधपुर लाया गया था।

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