नौरादेही अभ्यारण के टाइगर रिजर्व बनते ही कई गतिविधियां होगी बंद…

अनुज गौतम/सागर. मध्य प्रदेश के तीन जिलों में फैले नौरादेही अभ्यारण को टाइगर रिजर्व का दर्जा दे दिया गया है. 48 साल पहले एक छोटे से गांव नौरादेही के नाम पर 1197 वर्ग किलोमीटर एरिया में फैले इस इलाके का अभ्यारण के रूप में गठन किया गया था.

1975 में इस अभ्यारण के अस्तित्व में आने के बाद अब करीब 50 साल बाद इसका प्रमोशन टाइगर रिजर्व के रूप में किया गया है. लेकिन बड़ी बात यह है कि प्रमोशन होने के साथ यह अपनी पहचान खो रहा है. क्योंकि इसका नया नाम वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व कर दिया गया है. नौरदेही अब केवल एक रेंज तक ही सीमित रह जाएगा. नए टाइगर रिजर्व में नौरादेही अभ्यारण की 6 और वीरांगना दुर्गावती अभ्यारण की तीन रेंज मिलकर यह 9 रेंज वाला संरक्षित इलाका एक हो गया है.

कई तरह की गतिविधियां हो जाएगी प्रतिबंधित
अभ्यारण से टाइगर रिजर्व बनने के बाद यहां पर कई तरह के बदलाव शुरू हो गए हैं और जल्द ही इन सभी को अमल में लाया जाएगा. हालांकि, सब कुछ सही तरीके से शुरू होने में अभी करीब 1 महीने का समय लगेगा. डीएफओ डॉ ए ए अंसारी के मुताबिक जो टाइगर रिजर्व का कोर एरिया होगा, उसमें किसी तरह की गतिविधि का अधिकार अब नहीं दिया जाएगा. अभी तक इस इलाके में हर तरह के वन्य जीव के संरक्षण पर काम किया जाता था, लेकिन अब इस इलाके को बाघ आवास के रूप में विकसित और समृद्ध किया जाएगा. टाइगर रिजर्व में आगमन की व्यवस्था में भी बदलाव किया जाएगा, अब सिर्फ सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही आवागमन जारी रहेगा. सूर्यास्त से सूर्योदय इमरजेंसी में ही आवागमन की अनुमति मिलेगी. इसके अलावा ग्रामीणों को नए सिरे से टाइगर रिजर्व के बारे में जागरूक किया जाएगा, उनको बताया जाएगा कि कौन सा कोर एरिया है और कौन सा बफर एरिया है. कोर एरिया और बफर एरिया के प्रबंधन की व्यवस्था अलग-अलग होती है और वहां पर अलग- अलग गतिविधियां प्रतिबंधित होती हैं.

नया टाइगर रिजर्व बाघों का सबसे बड़ा बसेरा
यह बुंदेलखंड का दूसरा टाइगर रिजर्व है यहां पन्ना टाइगर रिजर्व भी पहले से है. यह दोनों टाइगर रिजर्व एक दूसरे की पहुंच तक कॉरिडोर बनाते हैं जो इन जानवरों के लिए बेहद ही अनुकूल है. वहीं, नया टाइगर रिजर्व वीरांगना दुर्गावती बाघों के बसेरे के लिए क्षेत्रफल की दृष्टि से भी सबसे बड़ा इलाका है. 24 squire किलोमीटर वाले इस क्षेत्र में 100 बाघों तक को संरक्षित किया जा सकता है. विस्तार की राहें तलाश रहा बुंदेलखंड अब वन्य प्राणि संरक्षण और जैव विविधता को सहेजने के मामले में देशभर में अपनी नई पहचान गढ़ेगा.

Tags: Local18, Madhya pradesh news, Sagar news, Tiger reserve

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