अमित शाह ने पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू को लेकर बड़ा बयान दिया है। लोकसभा में जम्मू-कश्मीर को लेकर दो बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने पूर्व पीएम नेहरू द्वारा की गई दो भूलों के कारण जम्मू-कश्मीर को होने वाले नुकसान के बारे में बात की – पहले युद्धविराम की घोषणा और फिर कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना। उन्होंने कहा, “नेहरू जी ने कहा कि यह मेरी गलती थी। यह कोई गलती नहीं थी, इस देश की इतनी जमीन खोना एक भूल थी!” अमित शाह की नेहरू टिप्पणी को लेकर संसद में हंगामा शुरू हो गया। विपक्षी सांसदों ने वॉकआउट किया।
गृह मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि नेहरू के समय में जो गलतियां हुई थीं, उसका खामियाजा वर्षों तक कश्मीर को उठाना पड़ा। उन्होंने कहा कि पहली और सबसे बड़ी गलती- जब हमारी सेना जीत रही थी, पंजाब का क्षेत्र आते ही सीजफायर कर दिया गया और पीओके का जन्म हुआ। अगर सीजफायर तीन दिन बाद होता तो आज पीओके भारत का हिस्सा होता। दूसरा- संयुक्त राष्ट्र में भारत के आंतरिक मुद्दे को ले जाने की गलती की। उन्होंने कहा कि हमारे देश के आंतरिक मुद्दे कश्मीर मुद्दे को नेहरू द्वारा संयुक्त राष्ट्र में ले जाना कोई गलती नहीं बल्कि एक बड़ी भूल थी, एक ऐतिहासिक भूल!
उन्होंने कहा कि जो लोग कहते हैं कि धारा 370 हटने के बाद क्या हुआ?… 5-6 अगस्त, 2019 को उनकी (कश्मीरी) आवाज, जो वर्षों से नहीं सुनी गई थी, पीएम मोदी ने सुनी और आज उन्हें उनका अधिकार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जब आतंकवाद ने अपना शिकंजा कस लिया, जब हर किसी को निशाना बनाकर भगाया जाने लगा, तो कई लोगों ने इस पर अपनी तथाकथित चिंताएं व्यक्त कीं। कई लोगों ने पीड़ितों की खराब हालत पर घड़ियाली आंसू बहाए और कई लोगों ने उन्हें अच्छे शब्दों से सांत्वना दी, लेकिन पीएम मोदी एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने सही मायने में पीड़ितों के आंसू पोछे हैं। पीएम मोदी ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने वास्तव में लोगों के दर्द को समझा और उसे कम करने के लिए अथक प्रयास किया।
भाजपा नेता ने कहा कि 1994 से 2004 के दौरान आतंकवाद की कुल घटनाएं 40,164 हुईं। 2004-14 सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के शासन काल के दौरान आतंकवाद की घटनाएं 7,217 हुईं। 2014 से 2023 श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के शासन काल के दौरान आतंकवाद की घटनाएं सिर्फ 2,000 हुईं, 70% की कमी आई है। आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण देने की बात कभी नहीं की गई। श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को 10% आरक्षण दिया। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग को 70 वर्षों से संवैधानिक मान्यता नहीं दी, श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता दी। काका कालेलकर की रिपोर्ट को रोक कर रखा। मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू नहीं किया और जब लागू करने की बात हुई तो राजीव गांधी ने इसका विरोध किया।