नेपाल से जुड़ा है UP की नाथ नगरी का इतिहास, कई सभ्यता और संस्कृतियों का है मेल

रजत भट्ट/ गोरखपुर. उत्तर प्रदेश का गोरखपुर जिला एक ऐसा शहर है, जहां आज भी एक पुरानी सभ्यता संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. शहर में कई ऐसी जगह और कई ऐसे पुराने ऐतिहासिक चीजें मौजूद हैं, जो आज भी शहर को खास बनाता है, लेकिन इस शहर को पिछले कुछ समय से लोग नाथ नगरी के नाम से भी जानते हैं.

दरअसल, यहां आज भी कई ऐसे पुराने मंदिर और प्रचीन ऐतिहासिक विरासतें मौजूद हैं, जो शहर की सभ्यता संस्कृति को दर्शाते हैं. शहर में आने के बाद यहां के मंदिर, मठ और साधुओं को देखने के बाद इस बात का एहसास हो जाएगा कि क्यों इसे नाथ नगरी कहा जाता है.

क्यों कहते हैं नाथ नगरी?
शहर को पिछले कई समय से नाथ नगरी के नाम से भी लोग पुकार रहे हैं. इसकी पहचान और छवि भी वैसी ही है. गोरखपुर यूनिवर्सिटी के हिस्ट्री डिपार्टमेंट के प्रोफेसर चंद्रभूषण अंकुर बताते हैं कि, पहले के समय में तराई क्षेत्र में नाथ साधु दिखा करते थे. क्योंकि गोरखपुर नेपाल से सटा है तो वहां पर भी इसका प्रचलन था. धीरे-धीरे गोरखपुर में भी साधुओं का आगमन हुआ और यहां पर भी इसका प्रचलन बढ़ा. हालांकि पिछले कुछ समय से इस शब्द का शहर के लिए ज्यादा उपयोग किया जा रहा है. हर कोई शहर को नाथ नगरी के नाम से पुकारता है यह बात सही है. यहां नाथों का एक बड़ा मठ भी मौजूद है जिसको गोरखनाथ मठ कहते हैं.

‘गोरखनाथ मठ’ नाथ संप्रदाय की पहचान
यूं तो नाथ संप्रदाय की सभ्यता और पहचान पुरानी है, लेकिन शहर में गोरखनाथ मठ एक ऐसा मठ है जो नाथ संप्रदाय की पहचान और सभ्यता संस्कृति का एहसास कराता है. इस मठ में मौजूद ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ, दिग्विजय नाथ समेत के महंत के नाम जुड़े हुए हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसी मंदिर के मठाधीश हैं. आज भी गोरखनाथ मंदिर में नाथ संप्रदाय की वह सारी सभ्यता संस्कृति पूजा पाठ पद्धति नजर आती है. मंदिर में मौजूद हर एक नाथ संप्रदाय का साधु अपनी आस्था के अनुसार पूजा पाठ और योग, सहयोग पर बरकरार है.

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