नई दिल्ली. सूफी इस्लामिक बोर्ड ने गुरुवार को एक बयान जारी कर ऑपइंडिया की प्रधान संपादक नूपुर जे शर्मा को दी गई जान से मारने की धमकियों की निंदा की है. नूपुर जे शर्मा ने सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती और अजमेर दरगाह के इतिहास के बारे में कुछ टिप्पणियाँ कीं थीं. दरअसल इजरायली खुफिया विभाग के लिए काम करने वाले हमास के संस्थापक के बेटे मोसाब हसन यूसुफ का इंटरव्यू लेते समय उन्होंने कुछ कमेंट्स किए थे जिन पर आपत्ति थी.
उस बयान का अध्ययन करने के बाद, सर्व धर्म ख्वाजा के अध्यक्ष और सूफी इस्लामिक बोर्ड पंजाब के अध्यक्ष सूफी राज जैन ने बयान जारी कर कहा था कि देश में हर किसी को अभिव्यक्ति की आजादी है. उन्होंने सुझाव दिया कि नूपुर शर्मा को ऐसा करना चाहिए, लेकिन उससे पहले सूफीवाद पर चर्चा करने और अजमेर दरगाह का दौरा करना चाहिए. वहीं बोर्ड ने बताया है कि सूफी राज जैन के बयान के बाद सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंसूर खान से पुलिस ने पूछा था कि क्या वे नूपुर शर्मा के खिलाफ आगे की कार्रवाई करना चाहते हैं?
सूफीवाद सभी को माफ करने की परंपरा
इस पर खान ने इससे इनकार करते हुए कहा कि सूफीवाद से अनभिज्ञ व्यक्ति का न्याय करना और उसे दंडित करना उनकी परंपरा में नहीं है, जो सभी को माफ कर देती है. मंसूर खान ने नूपुर जे शर्मा को धमकी देने वालों की भी निंदा की है क्योंकि वे सूफीवाद को नहीं समझते हैं. खान की ओर से एक बयान में कहा गया कि कोई भी जो व्यक्ति सूफी परंपरा का पालन नहीं करता, उसे यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि क्या सही है या क्या गलत है? यह हमारे संज्ञान में आया है कि वीडियो के वायरल होने से पहले ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का नाम हटा दिया गया था क्योंकि नूपुर जे. शर्मा का मानना था कि इसका गलत मतलब निकाला जा सकता है.
सूफी इस्लामिक बोर्ड की मदद की थी
मंसूर खान ने कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक को विचार व्यक्त करने और इतिहास पर चर्चा करने का अधिकार है और हम उसके खिलाफ धमकियां की निंदा करते हैं. उन्होंने कहा कि जब सूफी इस्लामिक बोर्ड को कट्टरपंथियों से धमकियां मिल रही थीं तो नूपुर जे शर्मा और उनका प्रकाशन ही था जो सूफी इस्लामिक बोर्ड के साथ खड़े थे. हम जानते हैं कि उनका इरादा हिंदुओं और भारतीयों को कट्टरपंथियों से बचाना है. वास्तव में, नूपुर जे शर्मा ने हमारी मदद की थी. सूफी इस्लामिक बोर्ड के बयान में कहा गया है कि पीएफआई के खिलाफ हमारे अभियान पर नूपुर ने ही रिपोर्ट प्रकाशित की थी, यही कारण है कि हम इस मामले को यहीं खत्म करना चाहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 14, 2023, 21:17 IST