खास बातें
- जेडीयू की कमान फिर नीतीश कुमार के हाथों में ही सौंप दी गई है
- जेडीयू सांसद ललन सिंह ने ढाई साल तक पार्टी की कमान संभाली
- नीतीश कुमार के जेडीयू की कमान संभालने के कई कारण हैं
नई दिल्ली :
तीर के चुनाव चिह्न वाली पार्टी जेडीयू की सर्वोच्च समितियों ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के हाथों में ही इसे फिर से सौंप दिया है. जेडीयू के नेताओं को लगा कि 2024 की चुनावी बिसात में दिल्ली की कुर्सी पर कोई तीर निशाने पर लग सकता है तो वो नीतीश कुमार ही हैं, जिन्हें सुशासन बाबू के नाम से भी उनके समर्थक पुकारते हैं. बिहार के सीएम नीतीश कुमार के पास ये तीर कमान आने में आज ज्यादा वक्त नहीं लगा. निवृतमान अध्यक्ष राजीव रंजन यानी ललन सिंह (Lalan Singh) ने बंद कमरे की बैठक में कहा कि वो लोकसभा चुनाव में शिरकत करने के कारण चुनावी काम में मसरुफ रहेंगे तो अध्यक्ष के दायित्व को नहीं निभा पायेंगे और उनकी जगह नीतीश कुमार को फिर से पार्टी की कमान सौंप दी जाए, जिस पर कार्यकारिणी और परिषद दोनों के ही नेताओं ने बगैर किसी विरोध के मुहर लगा दी.
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वैसे जेडीयू की बैठक में नीतीश कुमार ने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि वो उनकी सरकार की उपलब्धियों का प्रचार नहीं करती और अगर ऐसा करे तो उसका ही फायदा होगा.
असंतोष पर लगाम, पार्टी पर दे सकेंगे बेहतर ध्यान
नीतीश कुमार के जेडीयू की कमान संभालने के पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण हैं. नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव न लड़कर पार्टी पर ध्यान देंगे और नीतीश ‘इंडिया’ समूह के बड़े नेताओं से डीलिंग आसानी से कर सकेंगे. यदि ‘इंडिया’ समूह का चेहरा बनने का मौका आया तो पार्टी की कमान नीतीश के पास होगी.
बीजेपी के पुराने साथी रहे नीतीश कुमार ने दो-दो बार अचानक साथ छोड़कर आरजेडी के साथ गठबंधन कर लिया है. इस कदम से जेडीयू की सियासी सेहत पर क्या असर पड़ा जान लेते हैं.
जेडीयू का चुनावी प्रदर्शन
वर्ष सीटें % वोट गठबंधन
2009 (लोकसभा) 20 24 एनडीए के साथ
2010 (विधानसभा) 115 22.6 एनडीए के साथ
2014 (लोकसभा) 2 15.8 एनडीए और यूपीए से अलग
2015 (विधानसभा) 71 16.8 महागठबंधन के साथ
2019 (लोकसभा) 16 21.8 एनडीए के साथ
2020 (विधानसभा) 43 15.4 एनडीए के साथ
नीतीश का सियासी सफ़र
- पहला विधान सभा चुनाव 1985 में हरनौत से जीते
- 1989 तक लालू प्रसाद यादव को समर्थन दिया
- 1994: जॉर्ज फ़र्नांडिस के साथ समता पार्टी बनाई
- 1996: बाढ़ लोकसभा सीट जीती, बीजेपी के साथ हो लिए
- 1998: केंद्रीय रेल मंत्री बने
- 1999: केंद्रीय कृषि मंत्री बने
- 2000: बिहार के 8 दिन के मुख्यमंत्री बने
- 2015: आरजेडी, कांग्रेस के साथ आए
- 2017: महागठबंधन छोड़ फिर बीजेपी के साथ
- 2022: एक बार फिर आरजेडी के साथ
- कुल 7 बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे
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