नीतीश की भाजपा नेताओं से दोस्ती पर गिरिराज ने क्यों लिया लालू का नाम? बता दी अंदरखाने की कहानी

पटना. मोतिहारी में महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ अपनी दोस्ती की बात दोहराई तो बिहार की सियासत में हलचल मच गई. राजद के प्रवक्ता शक्ति यादव ने इसको लेकर तीखी टिप्पणी तक कर डाली. हालांकि, बाद में राजद के नेताओं ने इस मुद्दे पर खामोशी अख्तियार कर ली. जबकि, जदयू के अधिकतर नेता सीएम नीतीश के बयान पर सफाई देते हुए नजर आए. अब इस मसले पर भाजपा की ओर से भी बहुत प्रतिक्रिया नहीं देखी गई, लेकिन अब केंद्रीय मंत्री सह बेगूसराय सांसद गिरिराज सिंह ने सीएम नीतीश कुमार की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठा दिया है.

दरअसल, केंद्रीय मंत्री ने पत्रकारों के सवाल पर जवाब देते हुए कहा, नीतीश कुमार का बीजेपी प्रेम नहीं छलक रहा है, बल्कि छक्का-पंजा की लड़ाई चल रही है. उनके लिए बीजेपी के सभी दरवाजे-खिड़की बंद हैं. वे लालू यादव को डराने के लिए ये बोल रहे हैं, नीतीश कुमार पर जब-जब लालू यादव लगाम कसते हैं, तब वे कहते हैं कि मैं बीजेपी में चला जाऊंगा. गिरिराज ने कहा कि नीतीश ‘मैं मायके चली जाऊंगी, तुम देखते रहियो’ कहकर लालू को डराते हैं.

गिरिराज सिंह ने आगे कहा, अब नीतीश कुमार के पास बचा क्या है, बीजेपी का दरवाजा उनके लिए बंद हैं. अटलजी को मरे हुए कितने साल हुए, लेकिन अब जाकर वे उनकी समाधि पर श्रद्धांजलि देने गए. इसी तरह लालू यादव को डराने के लिए इस साल उन्हें दीनदयाल उपाध्याय याद आए. इसलिए वो ये सबकुछ लालू जो को डराने के लिए कर रहे हैं. लालू जी नीतीश कुमार को हटाकर तेजस्वी को सीएम बनाना चाहते हैं, इसलिए ऐसा हो रहा है.

गिरिराज सिंह ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के सीट बंटवारे को लेकर लालू यादव और नीतीश कुमार के बीच तालमेल नहीं बैठ रहा है, इसलिए नीतीश बार-बार बीजेपी में जाने की बात कह कर लालू को डरा रहे हैं. दूसरी ओर, लालू अपने बेटे तेजस्वी यादव के लिए चिंतित है, कि कहीं वो आधे रास्ते में मुख्यमंत्री बनते-बनते न रह जाएं. यही सब वजह है जो नीतीस कुमार भाजपा से अपनी दोस्ती की बात कह रहे हैं.

गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि यदि लालू जी कभी मिलने बुलाते हैं तो हम तो उनको यही समझाएंगे कि नीतीश कुमार को धक्का देकर बाहर कीजिए और अपने बेटे को गद्दी पर बैठाइए, नहीं तो नीतीश गद्दी देने वाले नहीं हैं. ऐसा इसलिए कि वे अंग्रेजों के जमाने के सत्ता परस्त हैं. बहरहाल, नीतीश-भाजपा की सियासी दोस्ती की कहानी बिहार की राजनीति में अभी जारी है और अब देखना दिलचस्प होगा कि जदयू की ओर से क्या जवाब आता है.

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