नई दिल्ली/इलाहाबाद. निठारी हत्याकांड मामले में मोनिंदर सिंह और सुरेंद्र कोली को बरी करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को कड़े सवाल उठाए और कहा इस निर्मम मामले की जांच बेहद ढीले तरीक़े से की गई. हाईकोर्ट ने मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी करते हुए कई कड़ी टिप्पणियां की हैं. कोर्ट ने साफ़ कहा कि नौकर यानी कोली को फँसा कर विलेन बना दिया गया, जबकि हत्याओं के पीछे का कारण मानव अंग व्यापार होने की प्रबल संभावनाओं को सीबीआई ने देखा तक नहीं.
कोर्ट ने कहा कि निठारी मामले में मानव अंग व्यापार की संभावना की जाँच तक नहीं की गई, जबकि घटनास्थल के पास के ही घर से किडनी मामले के आरोपी की गिरफ़्तारी हुई थी. अदालत ने कहा कि जिस तरह से गिरफ़्तारी, बरामदगी और इकबालिया बयान जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को हल्के तरीक़े से लिया गया, वो चिन्ताजनक है.
हाईकोर्ट ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि सुरेंद्र कोली का इकबालिया बयान पुलिस रिमांड के 60 दिन बाद लिया गया. वो भी बिना मेडिकल जाँच के और उसे कोई क़ानूनी मदद भी मुहैया नहीं करवाई गई और ना ही पुलिस टॉर्चर के आरोप की जाँच की गई.
कोर्ट ने कहा कि मासूम बच्चों और महिलाओं की हत्याएँ बेहद चिंताजनक हैं, ख़ासतौर से जब अमानवीय तरीक़े से उनके जीवन का अंत किया गया हो, लेकिन इसके कारण ऐसा नहीं हो सकता कि आरोपियों को निष्पक्ष न्याय ना मिले और सबूतों के अभाव में भी सजा दे दी जाए. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जाँच करने में गड़बड़ हुई और सबूत इकट्ठा करने के बुनियादी सिद्धांतों का भी पालन नहीं किया गया.
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “ऐसा लगता है कि जांच एजेंसी ने घर के गरीब नौकर को फँसा कर जाँच पूरी करने का आसान रास्ता चुना. यहाँ तक कि महिला और बाल विकास मंत्रालय ने मानव अंग तस्करी की संभावना की जाँच की सिफ़ारिश भी की, पर उसे ताक पर रख दिया गया. ये ज़िम्मेदार जाँच एजेंसी के ज़रिए लोगों के विश्वास से धोखे से कम नहीं है.”
बहुचर्चित निठारी मामला वर्ष 2005 और 2006 के बीच घटित हुआ था और तब सुर्खियों में आया जब दिसंबर, 2006 में नोएडा के निठारी में एक मकान के पास नाले में मानव कंकाल पाए गए थे. मोनिंदर पंढेर उस मकान का मालिक था और कोली उसका नौकर था. बाद में, इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने सुरेंद्र कोली के खिलाफ हत्या, अपहरण, दुष्कर्म और साक्ष्यों को नष्ट करने के लिए 16 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया और पंढेर के खिलाफ अनैतिक मानव तस्करी के लिए आरोप पत्र दाखिल किया था. उच्च न्यायालय ने साक्ष्यों के अभाव में सभी मामलों में दोनों को बरी कर दिया.
इससे पूर्व गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने कोली और पंढेर पर लड़कियों के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोप तय करते हुए उन्हें मृत्यु दंड की सजा सुनाई थी. न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एस एच ए रिजवी की पीठ ने कोली और पंढेर की अपील पर यह आदेश पारित किया. पंढेर और कोली ने गाजियाबाद की सीबीआई अदालत के निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
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Tags: Allahabad high court, Noida Nithari Kand
FIRST PUBLISHED : October 16, 2023, 20:36 IST