नाना साहेब ने की थी इस मंदिर की स्थापना, मनोकामना पूरी होने पर भक्त चढ़ाते हैं पीतल का घंटा

रवि सिंह/ विदिशा : जिले में माता रानी के अनेक मंदिर हैं और हर मंदिर की अपनी अलग पहचान और अलग इतिहास है. ऐसा ही एक स्थान विदिशा में स्थित है, जो देवी का बाग गुलाब बाटिका के पास है. देवी मां के इस मंदिर को घंटे वाली माता के नाम से भी जाना जाता है ऐसा इसलिए है कि यहां भक्तों की मुराद पूरी होती है तो श्रद्धालु मन्नत पूरी होने के बाद यहां पीतल का घंटा चढ़ाते है. यहां पर सुबह से लेकर देर रात तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

खुले प्रांगण में विराजमान हैं देवी मां

मंदिर की सेवा कर रहीं लक्ष्मी चतुर्वेदी बताती हैं कि यहां पर उनकी चौथी पीढ़ी सेवा कर रही है. यहां पर कई बार मंदिर बनवाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिलती. यही कारण है कि स्थान की प्रसिद्ध होने के बाद भी मंदिर का निर्माण नहीं हो सका. उन्होंने बताया कि यह करीब 200 साल पुराना है, मनोकामना पूरी होने पर लोग यहां पर घंटा अर्पित करते है, उन्हीं घंटों को गला कर मैया के दरबार में एक-एक क्विंटल के दो पीतल के शेर, नंदीश्वर और एक क्विंटल का एक बड़ा घंटा बनवाया गया है.

देवी मां की स्थापना की कहानी

नाना साहेब के नेतृत्व में पानीपत युद्ध में जाते समय मराठा सेना पुणे से सीहोर होते हुए विदिशा पहुंची थी, तब बेतवा नदी के किनारे खुले मैदान में सेना ने पड़ाव डाला था जिसे आज देवी का बाग कहा जाता है, जब सेना ने यहां पर पड़ा डाला तो यहां कोई मंदिर नहीं था और सैनिक मां की पूजा करते हैं और मां को ही मानते हैं इसीलिए नाना साहब के नेतृत्व में सैनिकों ने देवी मां को यहां पर विराजमान किया और तभी से यह मां सभी की मनोकामना पूरी करती हैं.

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