इस इलाके से अब तक निकाले गए लोगों में एक गर्भवती महिला है. वह अपने परिवार के साथ जलमग्न इलाके से बाहर निकलने में कामयाब हो गई. उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को क्षेत्र से बाहर निकालने के लिए पर्याप्त मदद नहीं मिल रही है.
उन्होंने एनडीटीवी से कहा, “वहां हमारी मदद करने वाला कोई नहीं है. अगर कोई मदद कर सकता है, तो वह वहां जाकर बुजुर्गों की मदद करे. नावें बहुत छोटी हैं और वे सुरक्षित भी नहीं हैं. मैं सरकार से अनुरोध करना चाहती हूं कि बड़ी नावें भेजी जाएं ताकि लोग बाहर आ सकें.” उन्होंने कहा, “उन्हें भोजन और बिजली की जरूरत है. फिलहाल पर्याप्त सहायता नहीं मिल रही है.”
प्रभावित इलाकों के लोगों को नावों से बाहर निकलने के लिए अपनी बारी का घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. एक अन्य स्थानीय निवासी ने कहा, “आज हमें नाव के लिए तक दो से तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा. कल हमारे लिए कोई नाव नहीं थी.”
अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने लगभग 300 नावें तैनात की हैं और उन्हें राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) से अतिरिक्त बल भी मिला है. उन्होंने बताया कि नावें अब निचले इलाकों में समुदायों तक पहुंच रही हैं.
इससे पहले आज मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कुछ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और शहर के एक राहत केंद्र में लोगों को भोजन और आवश्यक चीजें वितरित कीं. उन्होंने जल निकासी के प्रयासों का भी निरीक्षण भी किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री ने केंद्र को पत्र लिखकर 5,060 करोड़ रुपये की अंतरिम बाढ़ राहत सहायता की मांग की है.
एक्स पर कई लोगों ने पानी में डूबे आवासीय क्षेत्रों के वीडियो साझा किए और दावा किया कि लोग अभी भी फंसे हुए हैं.
कई लोगों ने वेलाचेरी और तांबरम सहित प्रभावित क्षेत्रों में दूध की आपूर्ति में देरी की शिकायत की. निवासियों ने दावा किया कि दूध महंगा बेचा जा रहा है.
पानी की पाइपलाइन में रिसाव के कारण अडयार पर पुल के प्रवेश द्वार को नुकसान हुआ. फिलहाल पुल का केवल एक तरफ का हिस्सा ही यातायात के लिए खुला है. भारी वाहनों का मार्ग बदल दिया गया है.
चेन्नई में आई बाढ़ ने 2015 की भयावह यादें ताजा कर दीं, जिसमें 200 से अधिक लोग मारे गए थे.