नवरात्रि में होती है माता की पूजा, लेकिन बिहार के इस मंदिर 500 सालों से महिलाओं का प्रवेश वर्जित, जानें क्यों

सत्यम कुमार/भागलपुर. नवरात्रि में सभी माता की भक्ति में लीन हैं. ऐसे में 10 दिनों तक माता के 10 रुपों की पूजा होती है. लेकिन बिहार के इस मंदिर मेें मताओं की प्रवेश पर आज से नहीं 1526 ईस्वी से रोक है. यह मंदिर भागलपुर के नवगछिया के पुनामा प्रताप नगर में स्थापित है. मंदिर के पुजारी प्रवीण सिंह ने बताया कि मंदिर की स्थापना चंदेल वंश के वंशज प्रताप राव ने कराई थी. यह मंदिर चार बार कोसी में विलीन हुई. फिर इसको 2004 में बनाया गया. आइए जानते हैं आखिर क्यों आजतक यहां पर महिलाओं के प्रवेश पर रोक है.

तांत्रिक विधि से होती है पूजा
सनातन धर्म में महिलाएं पूजा पाठ अधिक करती हैं. पर कई मंदिरों में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. दरअसल, जिले के नवगछिया के पुनामा प्रताप नगर में स्थापित मां दुर्गा मंदिर है. इसको लेकर मंदिर के पुजारी प्रवीण सिंह ने बताया कि इसकी स्थापना चंदेल वंश के वंशज प्रताप राव ने कराई थी. यह मंदिर 1526 में ही स्थापित हुई है. चार बार कोसी में विलीन हुई. लेकिन पुनः नया 2004 में राजेंद्र नगर कोलिनी के पुनामा प्रताप नगर में बनाई गई. यहां कामरूप कामाख्या की तरह तांत्रिक विधि से पूजा होती है.

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यहां पर 64 योगिनी की होती है पूजा
मंदिर के पंडित नेबताया कि यहां पर 64 योगिनी की पूजा होती है. इसके साथ ही यहां ज्योति की पूजा होती है. वहीं पंडित ने बताया कि यंहा शुरू से ही महिलाओं के प्रवेश पर रोक है. पहले की मान्यता थी कि महिला अपने आप में वर्जित है. इसकी वजह पुराने जमाने की सोच थी. महिला अशुद्ध होती है. इसलिए महिला को अंदर नहीं जाने दिया जाता है. ऐसा पूर्वजों से ही मान्यता चलती आ रही है. हमलोग इसको नहीं बदल सकते हैं.

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मंदिर प्रांगण में महिला आती हैं, बाहर से ही पूजा करती है और चली जाती है. उन्होंने बताया कि जो यहाँ पहले भैंसा की बलि पड़ती है, उसके बाद क्षागर कि बलि पड़ती है.

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