नवरात्रि में कन्या पूजा के बाद ही पूरा होता है व्रत, जानें महात्व के साथ विधि

अनूप पासवान/कोरबा. शारदीय नवरात्र का नौ दिवसीय उत्सव इस साल 15 अक्टूबर को शुरू हुआ है और 24 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है. इस 9 दिवसीय उत्सव में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. देवी को प्रसन्न करने के लिए इन दिनों विभिन्न पूजा अनुष्ठान और आरती की जाती है. अधिकांश समुदाय विशेष रूप से उत्तर भारत में नवरात्रि के दिनों कन्या पूजन या कन्या भोज आयोजित करके कन्याओं को घरों में और मंदिरों में आमंत्रित करते हैं. इस दौरान उन्हें पूड़ी, खीर, चना, नारियल, हलवा का भोज करवाया जाता है और उपहार और दक्षिणा दी जाती हैं.

पंडित विद्यानंद पांडे ने बताया कि छोटी लड़कियों को पृथ्वी पर देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है. पूरे ब्रह्मांड में बच्चों को इंसानों का सबसे शुद्ध रूप माना जाता है, इसलिए लोग कन्याओं के रूप में देवी मां का पूजन करते हैं. देवी भागवत पुराण के अनुसार ऐसा माना जाता है कि लड़कियों की पूजा करने से भक्तों को उनकी पूजा का वास्तविक फल प्राप्त होता है, विशेष रूप से 9 दिन तक व्रत रखने वालों को नवरात्रि के अंत में कन्याओं की पूजा अवश्य करना चाहिए.

कैसे करें कन्या पूजा

कन्या पूजन परंपरागत रूप से भक्तों द्वारा अष्टमी या नवमी के दिन किया जाता है. छोटी लड़कियां, जिन्हें विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है, फिर उसके बाद मां दुर्गा का रूप मानकर पूजन किया जाता है. घर पर आमंत्रित छोटी बच्चियों को पैर धुलकर और पैरों को रंग कर आसन बिछा कर बैठाया जाता है. आसन पर बैठी 9 कन्याओं को खीर, पूरी, हलवा, चना, इत्यादि परोसा जाता है और भोजन ग्रहण करने के बाद उन्हें दक्षिणा देकर विदा किया जाता है.

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